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हिन्दी संस्कृत के हैं रक्षक हम

महेश बड़सरे राजपूत इंद्र
इंदौर (मध्य प्रदेश)

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हिन्दी संस्कृत के हैं रक्षक हम
माँ भारती तव पुत्र-सेवक हम

हिन्दी विश्व भाल पर चन्दन
प्रथम करते हम मातृ वन्दन
राष्ट्र-धरा के हैं उपासक हम
हिन्दी संस्कृत के हैं रक्षक हम

अनाहद नाद ने संस्कृत रची
माँ शारदा आकर उसमें बसी
संस्कृत से हिन्दी को पाते हम
हिन्दी संस्कृत के हैं रक्षक हम

भाषा जिसमें विज्ञान आधार
स्वर-व्यंजन-संयोजन विस्तार
मानव भाषा के आराधक हम
हिन्दी संस्कृत के हैं रक्षक हम

संस्कृत से जीवन में संस्कार
सर्व जगत ने किया स्वीकार
जीवन विकास के साधक हम
हिन्दी संस्कृत के हैं रक्षक हम

परिचय :- महेश बड़सरे राजपूत इंद्र
आयु : ४१ बसंत
निवासी :  इन्दौर (मध्य प्रदेश)
विधा : वीररस, देशप्रेम, आध्यात्म, प्रेरक, २५ वर्षों से लेखन
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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