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सूरज लाल, जनता बेहाल

शैलेष कुमार कुचया
कटनी (मध्य प्रदेश)
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पेड़ इत्ते थे पहले की
धूप का पता ही नही चलता था
तालाबो में नहा लिया करते थे
जब लगती थी गर्मी
कूलर तो नाम बस सुना था
पंखा ही गर्मी
कटा दिया करता था।

लेकिन आज ऐ सी भी फैल है
५० डिग्री टेम्प्रेचर में सूरज लाल है
पेड़ सारे काट दिया
नए नए फर्नीचर बनाने को
पानी खुद बोतल वाला
खरीदकर पी
रहे वो पेड़ो को कहा पिलाएंगे।

नई पीढ़ी को
हम क्या दे जाएंगे
बेल, आम, नींबू
रबड़ी वाली आइस क्रीम
या फिर कहानियो में ही
नाम सारे सुन पाएंगे
यदि प्रकृति को बचाना है
पेड़ अभी से लगाना है
बच्चो को भी यही सिखाना है
पानी हमे बचाना है।।

परिचय :-  शैलेष कुमार कुचया
मूलनिवासी : कटनी (म,प्र)
वर्तमान निवास : अम्बाह (मुरैना)
प्रकाशन : मेरी रचनाएँ गहोई दर्पण ई पेपर ग्वालियर से प्रकाशित हो चुकी है।
पद : टी, ए विधुत विभाग अम्बाह में पदस्थ
शिक्षा : स्नातक
भाषा : हिंदी, बुंदेली
विशेष : स्वरचित रचना, विचारो हेतु विभाग उत्तरदायी नही है, इनका संबंध स्वउपजित एवं व्यक्तिगत है।
घोषणा : में यह प्रमाणित करता हूं, कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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