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विश्व परिवार दिवस

विजय गुप्ता
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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नया भारत परीक्षा देता, भय साजिशें महामारी है।
भारत बना विश्व प्रणेता, सर्वमान्य नेतृत्व जारी है।

खूब पढ़ाया संतानों को, बढ़ता क्रम भी जारी है
दादा दादी नाना नानी की बढ़ती अब लाचारी है
घर परिवार दायरे में रहना सबकी जिम्मेदारी है।
भारत बना विश्व प्रणेता, सर्वमान्य नेतृत्व जारी है।
नया भारत परीक्षा देता, भय साजिशें महामारी है

रुचि लगाव रखने में परिवारों की पूरी हिस्सेदारी है
नारी सशक्तिकरण के युग में अहम भूमिका नारी है
संस्कार समन्वय और मातृत्व गुण सभी पर भारी है
भारत बना विश्व प्रणेता, सर्वमान्य नेतृत्व जारी है।
नया भारत परीक्षा देता, भय साजिशें महामारी है।

सतर्क और संस्कार नियम से यदि बढाई यारी है
गुमराह वजह कुछ लोगों की बनी चिंता हमारी है
कुतर्क चलन अहम तुष्टि में कुछ की मति मारी है।
भारत बना विश्व प्रणेता, सर्वमान्य नेतृत्व जारी है
नया भारत परीक्षा देता, भय साजिशें महामारी है।

खौफ के दंगल से जब इंसान देख रहा अंधियारी है
साधन सुविधा विकास कर्म अंतिम हद तक जारी है
आस विश्वास संग भारत पग, साथ खड़ी बंजारी है।
भारत बना विश्व प्रणेता, सर्वमान्य नेतृत्व जारी है।
नया भारत परीक्षा देता, भय साजिशें महामारी है।

अटका भटका बिखरा परिवार गुजारिश भारी है
अर्थ श्रम नियम संयम मार्ग, देश धर्म बलिहारी है
संस्कारकर्म जगाते परिवार दिखाए पूर्ण तैयारी है
भारत बना विश्व प्रणेता, सर्वमान्य नेतृत्व जारी है
नया भारत परीक्षा देता, भय साजिशें महामारी है।

एक सौ तीस करोड़ परिवार, देश बहुत ही भारी है
घर रहकर ही ‘परिवार दिवस’, परिवार संगवारी है
न्यायप्रिय एकनिष्ठ परिवार, भारत माता प्यारी है
भारत बना विश्व प्रणेता, सर्वमान्य नेतृत्व जारी है
नया भारत परीक्षा देता, भय साजिशें महामारी है।

सनातन धर्म की अनुशंसा, करती रही ये बेचारी है
घर परिवार समाज देश में, सम्मान स्नेह खुमारी है
सोचे समझे देश परिवार जो उत्तम कारगुजारी है
भारत बना विश्व प्रणेता, सर्वमान्य नेतृत्व जारी है
नया भारत परीक्षा देता, भय साजिशें महामारी है

परिचय :- विजय कुमार गुप्ता
जन्म : १२ मई १९५६
निवासी : दुर्ग छत्तीसगढ़

उद्योगपति : १९७८ से विजय इंडस्ट्रीज दुर्ग
साहित्य रुचि : १९९७ से काव्य लेखन, तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल जी द्वारा प्रशंसा पत्र
काव्य संग्रह प्रकाशन : १ करवट लेता समय २०१६ में, २ वक़्त दरकता है २०१८
राष्ट्रीय प्रशिक्षक : (व्यक्तित्व विकास) अंतराष्ट्रीय जेसीस १९९६ से
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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