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सूखा पत्ता

दिति सिंह कुशवाहा
मैहर जिला सतना (मध्य प्रदेश)
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सूखा गिरता पत्ता
पैरों से मसला जाता,
मंद हवा के झोंकों से
फिजाओं में इठलाता।

मैं सूखा पत्ता
फिरता दर-दर,
पेड़ों की टहनियों से
झरता झर-झर,
प्रसन्न हूँ मैं
वजूद मेरा पतझड़।

उड़ता बिखरता
रंगों में रंग भरता,
सूखी डाली तरुओं,
नीड़ों में आशियाना मेरा,
आता जाता
कारगर-कतवारों में,
तपती भूमि निर्जन वनों
गलियों चौबारों में,
निकलता हूँ हर
घर के द्वारों से।

लेकर आता खाद रूप
खेत खलिहानों में
सूखा गिरता पत्ता
फिर नई आशाओं से,
नया रूप प्राप्त कर
लेता शाखाओं में।

परिचय : दिति सिंह कुशवाहा
जन्मतिथि : ०१/०७/१९८७
शिक्षा : एम.ए. हिंदी साहित्य
पिता : रामविशाल कुशवाहा
पति : सत्य प्रकाश कुशवाहा
निवासी : मैहर जिला सतना (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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