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छांव मेरी मां

आशीष द्विवेदी समदरिया
शहडोल (मध्यप्रदेश)
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छांव है मेरी तू मां
जान मेरी है तू मां
बिन तेरे ना देख पाते
सुबह हम मां
मेरे ख्वाबों का
परिणाम तू है मां
मुझे इस दुनिया में
तूने ही तो लाया है
सबसे लड़ कर तू
मुझे बचाती
सबसे तू मेरे लिए
लड़ जाती हो मां
तू धूप मैं तेरा तो
छांव बनना चाहूं मां
इस जग में सबसे ज्यादा
तो तूम प्यार करती हो मां
मैं ना तेरे मन की
बात जानू,
लेकिन तूम तो
सब जानती हो मां
मां सबसे प्यारा निर्मल
तेरा तो प्यार है मां
हम ना जाने तेरी भावों को,
छुपाते तूम रहती हो मां
तूम दुःख हो सहती मगर,
अपने लाल को नहीं
जातती हो मां
तेरे बिना ना हम है,
ना ही जानेंगे
इस दुनिया को मां
तू ही तू पहचान है
मेरी मां
तेरे नाम से है
मेरी ये दुनिया मां
छांव है तू मेरी मां
मैं कैसे भूलूंगा मां

हम सभी को मां का ख्याल,
प्यार देना चाहिए
अपनी ‌मां का
सम्मान हमेशा करें

परिचय :-  आशीष द्विवेदी समदरिया
निवासी : शहडोल (मध्यप्रदेश)
व्यवसाय : बैंकर
सम्प्रति : लगभग १० किताबें प्रकाशित)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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