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माँ

श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
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“माँ” के लिए क्या लिखूं,
आकाश सा व्याप्त वो शब्द,
जिसे वेद व्यास भी
परिभाषित ना कर पाए
माँ सरस्वती भी
कुछ समझा ना पाई!
“माँ” के समक्ष हर
सागर भी दरिया लगता है
हर पर्वत हर गगन
छोटा लगता है
इंद्रधनुष के हर रंग
समाए हैं इन नैनों में
“माँ” है सृष्टि की जननी
“माँ” से ही है ये जग जीवन,
ब्रम्हांड समाया है “माँ ” में
हर पूजा प्रार्थना का
आशीष है “माँ”,
खुद में ही सम्पूर्ण है जो,
वो एक शब्द है “माँ”
जन्नत है इनके चरणों में
प्रकृति का रूप है “माँ”
शक्ति का स्वरुप है “माँ”
अखंड ज्योति की लौ है “माँ”
क्यूँ हो एक दिन ही मातृ दिवस?
नित क्यूँ ना करें हम “नमन” इन्हें?
ईश्वर का प्रतिरूप है “माँ”
नित शत-शत इनको नमन करें!!

परिचय :- श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
पति : श्री राकेश कुमार चतुर्वेदी
जन्म : २७ जुलाई १९६५ वाराणसी
शिक्षा : एम. ए., एम.फिल – समाजशास्त्र, पी.जी.डिप्लोमा (मानवाधिकार)
निवासी : लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
विशेष : साहित्यिक पुस्तकें पढ़ने के शौक ने लेखन की प्रेरणा दी और विगत ६-७ वर्षों से अपनी रचनाधर्मिता में संलग्न हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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