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माॅं की महिमा निराली है

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू
बालोद (छत्तीसगढ़)
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माॅं की ममता, माॅं की क्षमता
महिमा गजब निराली है ।
९ माह कोख में रखकर,
सकल जगत को पाली है…

माॅं न्यारी है , माॅं प्यारी है ।
माॅं कोमल-सी महतारी है ।
परिवार की खुद रक्षा कर,
धरम करम करनेवाली है…

माॅं बहू है , माॅं ही सास है ।
परिवार की अटूट विश्वास है ।
घरेलू कारज निर्वहन कर,
माॅं गृह प्रमुख घरवाली है…

माॅं ही अम्मा, माॅं ही मम्मा है ।
माॅं ही नींव-सी खम्भा है ।
अमृत-सी दूग्ध-पान कराकर,
वात्सल्य सिंचती माली है …

माॅं वंदनीय है, माॅं पूजनीय है ।
जगत दायिनी आदरणीय है ।
घर गृहस्थी बीड़ा उठाकर,
संस्कार देकर संभाली है …

माॅं करुणामयी, माॅं ममतामयी
शीतल-सी छत्र छाया है ।
नित्य सद्गुण अपनाकर,
दया दृष्टि वृक्ष-सी डाली है…

माॅं की भक्ति, माॅं की शक्ति है ।
सद्गुणों से सजती सॅंवरती है ।
अधर्म का संहार कराकर,
माॅं ही दुर्गा महाकाली है…

माॅं खान है, माॅं बखान है ।
माॅं नारियों में तो महान है ।
सत्य पथ पर चलकर,
माॅं बलवती शक्तिशाली है…

माॅं सुहानी है, माॅं की कहानी है।
लकीर अमिट-सी जुबानी है ।
श्रवण बेटा को जन्म देकर,
माॅं की विशेष दिन दिवाली है …

परिचय :- धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू
निवासी : भानपुरी, वि.खं. – गुरूर, पोस्ट- धनेली, जिला- बालोद छत्तीसगढ़
कार्यक्षेत्र : शिक्षक
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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