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विलक रही है आत्मा मेरी

नितिन राघव
बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश)

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विलक रही है आत्मा मेरी,
वो खिसक रहे हैं हाथों से।
दिन का चैन गया सब मेरा,
और नींद गयी सब रातो से।।

तडप रहे हैं वो भी कितना,
है लगता उनकी आंखों से।
सूख रहा प्रेम वृक्ष नित दिन,
मानो पत्ते चले गए शाखो से।।

अब मुड़ना भूल गयी है बाहें,
मिली नहीं है सांस ही सांसों से ।
लाल बर्फ बना लिए हैं अश्रू,
क्या डरना अर्थी के बांसो से।।

शायद बढना होगा आगे अब,
गुजरते हुए ही लाशों से।
लड़ना होगा मिलकर हमको,
राक्षसमयी सामाजिक दासों से।।

परिचय :- नितिन राघव
जन्म तिथि : ०१/०४/२००१
जन्म स्थान : गाँव-सलगवां, जिला- बुलन्दशहर
पिता : श्री कैलाश राघव
माता : श्रीमती मीना देवी
शिक्षा : बी एस सी (बायो), आई०पी०पीजी० कॉलेज बुलन्दशहर, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ से, कम्प्यूटर ओपरेटर एंड प्रोग्रामिंग असिस्टेंट डिप्लोमा, सागर ट्रेनिंग इन्स्टिट्यूट बुलन्दशहर से
कार्य : अध्यापन और साहित्य लेखन
पता : गाँव- सलगवां, तहसील- अनूपशहर जिला- बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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