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प्रतिबंध लगे कई युगों से नारी पर

विजय गुप्ता
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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प्रतिबंध लगे कई युगों से नारी पर
हक और खुशी की आजादी खोई।

सिसक दुबककर ही किया गुजारा
लालन पालन फर्जों में जीवन ढोई।

आंसुओं के बहाव को यूं समझाया
अपनत्व दुलार खुशी वजह से रोई।

नारी सशक्तिकरण ने पाया विस्तार
कर्म अधिकार रक्षण में भी न सोई।

किसी से अब कमजोर नहीं महिला
अब करतब से अचरज में हर कोई।

हर जगह दखल नसल अकल बल
अब अपनी आन बान शान में खोई।

साहस समानता किस्से बढ़ चढ़कर
यूक्रेन रूस युद्ध में क्या क्या ना होई।

दमखम पूरा रखती नियंत्रण रक्षण में
युद्धस्थल श्वेता चित्रा रोमाना हर कोई।

खाकर शर्म अब आतंकी नर सुधरेंगे
जिसने समझा नारी को बस एक लोई।

प्रगतिशील नारी कृत्य सफलता से
बेझिझक प्रेरणा पाओ सुंदर साफगोई।

नारी शक्ति विजय कानून का डंडा
टिक ना सकेगा कभी कहीं पर हरदोई।

परिचय :- विजय कुमार गुप्ता
जन्म : १२ मई १९५६
निवासी : दुर्ग छत्तीसगढ़

उद्योगपति : १९७८ से विजय इंडस्ट्रीज दुर्ग
साहित्य रुचि : १९९७ से काव्य लेखन, तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल जी द्वारा प्रशंसा पत्र
काव्य संग्रह प्रकाशन : १ करवट लेता समय २०१६ में, २ वक़्त दरकता है २०१८
राष्ट्रीय प्रशिक्षक : (व्यक्तित्व विकास) अंतराष्ट्रीय जेसीस १९९६ से
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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