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बिजी लोग

इन्दु सिन्हा “इन्दु”
रतलाम (मध्यप्रदेश)

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आज छुट्टी थी, ऑफिस की और मैं फ्री था। बहुत दिनों से फेसबुक और मैसेंजर नहीं देख पाया था, दोपहर के खाने के बाद सब पोस्ट देख लूँगा टाइम निकालकर, दोपहर में नींद की झपकी लेना कैंसिल। पत्नी भी पहले तो दोपहर घर के काम काज से फ्री होकर होकर पास-पड़ोस में महिलाओं के घर चली जाती थी बतियाने। लेकिन अब वो भी दोपहर में मोबाइल लेकर बैठ जाती है, टाइम पास कर लेती है, इधर-उधर मोहल्ले की औरतों से तो मोबाइल ही भला, बहुत कम ऐसे मौके आते हैं जब दोनों दोपहर में साथ होते हैं। ज्यादातर तो छुट्टी के दिन भी वो ऑफिस निकल जाता है।
लंच वगैरह से फ्री होकर उसने मोबाइल उठाया तो महिला मित्र की हॉट पिक सामने आ गई, यह महिला मित्र हमेशा ही अपने पिक डालती रहती थी, और उसने “वेरी नाइस” “सुपर” गिफ्ट कमेंट भेज दिया, फिर उसके बाद दूसरी पोस्ट को भी देखने लगा ज्यादातर महिलाएं फिल्टर करके पिक लगाती हैं, पर कुछ महिलाएं ओरिजनल पिक भी लगाती हैं, शायद नकलीपन इस हद तक वो पसन्द नही करती हो। फेसबुक फ्रेंड से मिलना-जुलना तो होना है नहीं, टाइम पास करो बस।
इतने में मोबाइल की बैटरी लो होने लगी, वो झुंझलाकर उठा चार्जर लेने के लिए, देखा तो वाइफ भी बड़ी बिजी थी कनखियों से उसे देखा तो लगा कि वह भी पिक ही देख रही थी शायद अरे यार चार्जर दो वाइफ से बोला, अरे बाबा ! खुद ले लो ये मैसेज टाइप कर लूं , फिर देती हूँ, कहकर वह फिर बिजी हो गई। झल्लाकर उसने खुद ही चार्जर फोन में लगाया, फिर जली भुनी नजरों से वाईफ को देखने लगा।
मेरा तो ऑफिस का ग्रुप है तुम्हारा कोनसा ग्रुप है? जो चिपकी रहती हो मोबाइल पर। वो बोला हमारा हाउस वाइफ वाला ग्रुप है, दोपहर में फ्री टाइम में चैटिंग करते है, वाईफ मोबाइल पर नज़रे गड़ाती हुई बोली। तभी वाईफ के मोबाइल की स्क्रीन पर किसी कमसिन स्मार्ट से लड़के का चेहरा चमका, वाईफ खो गयी देखने और कमेंट्स लिखने में।

परिचय :-  इन्दु सिन्हा “इन्दु”
निवास : रतलाम (मध्यप्रदेश)
उद्घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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