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लो आ गई होली

प्रभात कुमार “प्रभात”
हापुड़ (उत्तर प्रदेश)

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लो आ गई होली
मन में है उल्लास
दिलों मे भरा उत्साह
आओ हम सब खेलें होली।

लो आ गई होली
हर घर-आँगन गाँव-मढैया
होली गावें हर गाँव गवैया
वृंदावन की कुंज गलिन में
प्रेम रंग में रंगकर
होली खेलें रास रचैया
भक्ति रस में डूब-डूबकर
आओ हम सब खेलें होली।

लो आ गई होली
गाँव-नगर चौपाल-क्लब
आ गए बालम और कुमार
भांग खुमार, रंग, गुलाल
बोला सबके सर चढ़कर
होली के रंगों में रंग कर
आओ हम सब खेलें होली।

लो आ गई होली
क्या हिन्दू क्या मुस्लिम
क्या सिख-इसाई
मनमुटाव द्वेष बुराई भुला कर
दुनिया को भाईचारे की राह दिखा कर
मानवता के रंग में रंगकर
आओ हम सब खेलें होली।

लो आ गई होली
बच्चों की पिचकारी
रंगों से भरे गुब्बारे
जीवन में भर रहे
रंग बारम्बार
विविध रंगों से विद्यमान
आओ हम सब खेलें होली।

लो आ गई होली
एक अनोखा देश है मेरा
रंगोत्सव में रंगा यह संसार
अद्भुत है यह त्यौहार
मिल जुल कर शांति से रहने का देता संदेश
आसुर प्रवृत्तियों का दहन कर
बुरा न मानो
कर लें थोड़ा हुड़दंग मिलकर
आओ हम सब खेलें होली।
लो आ गई होली।।

परिचय :-  प्रभात कुमार “प्रभात”
निवासी : हापुड़, (उत्तर प्रदेश) भारत
शिक्षा : एम.काम., एम.ए. राजनीति शास्त्र बी.एड.
सम्प्रति : वाणिज्य प्रवक्ता टैगोर शिक्षा सदन इंटर कालेज हापुड़
विशेष रुचि : कविता, गीत व लघुकथा (सृजन) लेखन, समय-समय पर समाचारपत्र एवं पत्रिकाओं में रचनाओं का निरंतर प्रकाशन।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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