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नारी जीवन

मनोरमा जोशी
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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नारी है नारायणी, नारी नर
की खान, नारी से ही उपजे
ध्रुव प्रहलाद समान।
नारी ने हर क्षेत्र में अपने ,
हौसलें की उडा़न भर
परचम लहराया कीर्तिमान
स्थापित किया है।
बंधनो के निबद्ध भावनाओं की
स्वतंत्र अभिव्यक्ति है नारी।
कटीली नागफनी राहों में
गुलाब है नारी।
सोच का आंकडा बनाना,
जटिलताएं, विवशताएँ,
समाज की समस्याएं,
रूढ़ीवादी परम्पराएं
सबको निभानें का
हौसला रखती है नारी।
झरने की तरह मानिन्द शांत
पीडा़ओं को सहती नारी।
रिश्तों की परिधि में घिरकर
सहती है नारी। दुर्गा, लक्ष्मी,
अहिल्या, मीरा, सीता, सावित्री
न जाने कितने रुप है नारी।
फिर भी नारी को वह
सम्मान नहीं मिला है।
आत्मसम्मान को ठेस पहुंची है।
नारी सामाजिक दायित्व के
प्रति सजग, अधिकारों
के प्रति आवाज उठाने का
हौसला रखती है नारी।
पथ, प्रदर्शिका, स्वरक्षिका हर
शक्ति से जूझती
पुरूष को बल देती नारी।
हर क्षेत्र राजनैतिक साहित्यिक,
स्पोर्ट सामाजिक हो,
अनवरत योगदान है नारी।
हमारे देश में राष्ट्रपति,
प्रधान मंत्री, स्पीकर, मुख्य
मंत्री भी नारी बनी है।
महिला दिवस पर नारी को
सम्मानित कर महिला का
मनोबल बढ़ाना महिला
दिवस की सार्थकता है।
नारी को पुरुष के समान
अधिकार मिलना चाहिये।

परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है।
शिक्षा – स्नातकोत्तर और संगीत है।
कार्यक्षेत्र – सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान, हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख रुप से आपको मिले हैं। उपलब्धि संगीत शिक्षक, मालवी नाटक में अभिनय और समाजसेवा करना है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी का प्रचार-प्रसार और जन कल्याण है। कार्यक्षेत्र इंदौर शहर है। आप सामाजिक क्षेत्र में विविध गतिविधियों में सक्रिय रहती हैं। आपकी रचनाएँ हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) व एक काव्य संग्रह में प्रकाशित हुई है।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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