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युद्ध

रामसाय श्रीवास “राम”
किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़)

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 ( १ )
किसी का हो नहीं सकता, भलाई युद्ध में प्यारे।
कोई है हारता इसमें, तो कोई जीत कर हारे।।
कहीं इंसानियत रोती, बड़ी नुकसान भी होती।
सभी कुछ जानकार के भी, बने अन्जान हैं सारे।।
( २ )
तबाही संग लाती है, विभिषिका यह डराती है।
जो देखा यह नजारा है, उसे कब नींद आती है।।
कोई ऑसू बहाता है, तो कोई मुस्कराता है।
इन्हें कब अक्ल आएगी, यही चिंता सताती है।।
( ३ )
बड़े हैं देश दुनिया में, भरा अभिमान है उनमें।
वही विस्तार वादी हैं, नहीं संतोष है उनमें।।
उन्हीं के पास है साधन, यही सबसे बड़ा कारण।
किसी का हो भला ऐसा, समझदारी नहीं उनमें।।
( ४ )
समझ कमजोर औरों को, करो ना युद्ध मनमानी।
निजी स्वारथ में आकर तुम, करो ना काम बेमानी।।
कहे कवि राम बस इतना, सभी को मानलो अपना।
मिला अनमोल है जीवन, करो ना ब्यर्थ नादानी।।

परिचय :- रामसाय श्रीवास “राम”
निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़)
रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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