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माँ

आयुषी दाधीच
भीलवाड़ा (राजस्थान)

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माँ शब्द का एहसास ही कुछ और होता है -२
क्योकि यह हजारो, लाखों मे नही,
पूरे ब्रह्माण्ड का सबसे शक्तिशाली शब्द है।
माँ की दुनिया तो
अपने बच्चो मे ही समाई रहती है,
पता नही वो कितने दर्द को
अपने अन्दर छिपाए रखती है। -२
माँ का हृदय समन्दर सी गहराईयो
को लिए फिरता है,
ना जाने इसमे कितने
आशीर्वादो का बवन्डर भरा है। -२
पता नही वो किस तरह
हर दर्द को छिपा के हमेशा मुस्कराती है,
वो ‘माँ’ है इसलिए मुस्कराती है। -२
बीमार होने पर कहती है मै ठीक हु,
कुछ नही हुआ मुझे,
ओर फिर काम पर लग जाती है।
अपने बच्चो की खुशी के लिए
कुछ भी कर गुजरने की हिम्मत रखती है,
क्योंकि वो ‘माँ’ है। -२
माँ शब्द का एहसास ही कुछ ओर होता है।

परिचय :-  आयुषी दाधीच
शिक्षा : बी.एड, एम.ए. हिन्दी
निवास : भीलवाड़ा (राजस्थान)
उद्घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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