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बात जो भी कहते है, सच ही कहते है …

शाहरुख मोईन
अररिया बिहार
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बात जो भी कहते है,
सच ही कहते है,
गुलाब को तुम फूल,
हम पंखुड़ी कहते है।

ये माना हम तेरी ,
मुहब्बत के तलबगार नही है,
फिर भी तुझको,
अपनी जिंदगी कहते है।

हम नही जानते पेंचो-रवम,
इश्क के मगर,
इश्क वालों को ही हम,
आदमी कहते है।

जल रहा है, अब शहर ,
नफरतों के कारोबार से,
ऐसे लोगों को हम ,
सियासत के कारोबारी कहते है।

हर शिकारी से अव्वल है,
एक शिकारी भी अब,
पल में बदले रुख हवा का,
उसे ही बाज़ीगरी कहते है।

तेरे नैनों नक्श को,
तराशा नही हमने,
रूह डालें जो पुतलो में मिट्टी के,
उसे कारीगरी कहते है।

गुनाह-ए-मुहब्बत हम भी,
कभी-कभी करते है,
बातें मुहब्बत की मगर,
शहर में बन के अजनबी करते है।

कितने पागल थे वो लोग,
जिसने बुझा ली लौ जिंदगी की,
शाहरुख़ इसी बात को तो
मुहब्बत में खुदकुशी कहते है।

परिचय :- शाहरुख मोईन
निवासी : अररिया बिहार
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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