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मन में दूरी हो भले

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’
जौनपुर (उत्तर प्रदेश)
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मिल जुल रहना सीखिए तजिए व्यर्थ गुमान
वरना जीवन समझिए ऊसर और मसान

रिश्तों बिन यह ज़िंदगी रहती सदा अपंग
संकट की आयी घड़ी लगती कटी पतंग

मन में दूरी हो भले मिटे न शिष्टाचार
व्याप्त वरन हो जाएगा मत वैभिन्य विकार

कभी समर्पण के बिना रिश्ता निभे न कोय
सम्बंधों में यदि खटास कष्ट असीमित होय

अनुपम मणि है मित्रता रखिए सदा संभाल
करिए जब भी स्मरण मन होइ जात निहाल

जीवन में मिलते रहे भाँति-भाँति के लोग
भली-भाँति से जाँच लें नदी-नाव संयोग

परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’
निवासी : जौनपुर उत्तर प्रदेश
सम्प्रति : मनोविज्ञान विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
रुचि : पुस्तक लेखन, सम्पादन, कविता, ग़ज़ल, १०० शोध पत्र प्रकाशित, मनोविज्ञान पर १२ पुस्तकें प्रकाशित, ११ काव्य संग्रह सम्पादित, अध्यक्ष साहित्यिक संस्था जौनपुर उत्तर प्रदेश
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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