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सांसों के सितार पर

सीताराम पवार
धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश)
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सांसों के सितार पर भी
यह गीत मेरे यार बजते है”

सांसों के सितार पर ही
दिल के तार तार बजते हैं

सरगम की इस लय पर
जाने कितने ही सितार बजते है

पता नहीं तुम्हारी नजरों में
इतनी कशिश क्यों है

तुम्हारे देखने से दिल में मेरे
घुंघरू हजार बजते हैं।

मैंने तो सिर्फ गीत लिखे थे
तुम्हारी सूरत देखकर

तुमने वही गीत गाए जो मेरे
कानों मे वो बार-बार बजते हैं।

मैंने तो तुम्हें गीतों में
ढालने की कोशिश की थी

अब तो मेरे गीत इस
दुनिया में बेशुमार बजते हैं।

गली और चौबारो में शहर हो
या फिर हो बाजारों मे

गूंज सुनाई देती है इन गीतों की
जो कभी त्योहार में बजते हैं।

सांसों के सितार पर जब भी मैं
अपने ये तराने सुनता हूं

खिलखिलाते किसी झरनो के
यहा धार बजते है।

इन गीतों को सुनकर दिल भी
मस्त हो ही जाता है

सांसों के सितार पर भी
यह गीत मेरे यार बजते है

परिचय :सीताराम पवार
निवासी : धवली जिला बड़वानी (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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