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जानवर जाने जानवर की भाषा

नितिन राघव
बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश)

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एक अजीब सा चिड़ियाघर था जो किसी शहर में न होकर एक गॉंव के जंगल में स्थित था। इस चिड़ियाघर में अन्य जानवरों के साथ गीदड़ो को भी रखा गया था जो देखने में बहुत खूॅंखार थे। उनके दॉंत डरवाने लगते थे और उनके दॉंतो में लम्बे-लम्बे दॉंत जिन्हें कीलें कहा जाता है, उनके खूॅंखार होने का प्रमाण देते थे।
हमारे गॉंव के लोगों के खेत भी उसी चिड़ियाघर के आस-पास ही स्थित थे। एक दिन मैं अपने परिवार के साथ अपने खेत पर गया हुआ था और हम अपने खेत पर आम के पेड़ के नीचे बैठकर बातें कर रहे थे। तभी अचानक उस चिड़ियाघर से एक गीदड़ का बच्चा निकल कर हमारे पास आ गया। मैं उसे पकड़कर वापस चिड़ियाघर की तरफ ले जाने का प्रयास कर रहा था और इसी पकड़म पकड़ाई में उसका एक दॉंत मेरी उंगली में लग गया लेकिन मैं उसके दॉंत लगने के बारे में बिल्कुल भी चिंतित नहीं हुआ क्योंकि मुझे विश्वास था कि उसके एन्टी रेबीज के इंजेक्शन चिड़ियाघर वालो ने पहले ही लगा रखे होंगे। मैंने उसे पकड़कर चिड़ियाघर के कर्मचारियाें के हवाले कर दिया। उन्होंने उसे अन्दर ले जाकर छोड़ दिया‌।
लेकिन कुछ देर बाद मैंने देखा कि शायद वो बच्चा अपनी मॉं के साथ फिर से मेरी तरफ आ रहा है। ऐसा लग रहा था कि जैसे वो अपनी मॉं से मेरे बारे में ही कुछ बातें कर रहा हो। वो दोनों मेरी ओर तेजी से भागकर आ रहें थे। मैं भी डर गया और मैं भी भागने लगा लेकिन उन्होंने मुझे पकड़ लिया। वो बच्चा तो मुझपर पर चिल्ला रहा था और उसकी मॉं ने मेरी पेन्ट की एक टॉंग को अपने मुॅंह में दबा लिया और मुझे चिड़ियाघर की तरफ खिंचने लगी। मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये दोनों मुझे क्यों खिंच रहें हैं? मेरे परिवार के लोगों ने भी उनसे मुझे बचाने की कोशिश की परंतु वो किसी की नहीं माने। कुछ देर बाद मुझे महसूस हुआ कि ये बच्चा केवल मुझ पर चिल्ला रहा है और इसकी मॉं सिर्फ़ चिड़ियाघर की तरफ को खिंच रही है परन्तु दोनों कोई नुक़सान नहीं पहुंचा रहे। इसलिए मैं भी चिड़ियाघर की तरफ को चल दिया और उसने भी मेरी पेन्ट नहीं छोड़ी। वो मुझे खिच कर चिड़ियाघर के अन्दर उस कमरे तक ले गयी जहॉं पर लोगों को एन्टी रेबीज के इंजेक्शन लगाए जाते थे जब कभी उन्हें कोई गीदड़ या कुत्ता काट लेता था। वहां के कर्मचारी इस बात को समझ गये कि ये मॉं गीदड़ मुझे वहां क्यों लाई है? उन्होंने मुझसे पूछा कि तुम्हें इसने काटा तो नहीं है। मैंने बताया इसने तो नहीं काटा परन्तु इस छोटे से बच्चे ने मेरी उंगली में अपना दॉंत मार दिया है।
ज्यों ही एक कर्मचारी मुझे एन्टी रेबीज का इंजेक्शन लगाने के लिए मेरे पास आया त्यों ही उस इंजेक्शन के डर के कारण मेरी आंख ही खुल गई और पता चला कि मैं तो सपना देख रहा था।

परिचय :- नितिन राघव
जन्म तिथि : ०१/०४/२००१
जन्म स्थान : गाँव-सलगवां, जिला- बुलन्दशहर
पिता : श्री कैलाश राघव
माता : श्रीमती मीना देवी
शिक्षा : बी एस सी (बायो), आई०पी०पीजी० कॉलेज बुलन्दशहर, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ से, कम्प्यूटर ओपरेटर एंड प्रोग्रामिंग असिस्टेंट डिप्लोमा, सागर ट्रेनिंग इन्स्टिट्यूट बुलन्दशहर से
कार्य : अध्यापन और साहित्य लेखन
पता : गाँव- सलगवां, तहसील- अनूपशहर जिला- बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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