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नजरें ना झुकाया कर

प्रीतम कुमार साहू
लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़)
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लेकर हाथों में लाल गुलाब न चला कर !
दिल की बात दिल में रख न जला कर !!

नजरें मिला के यूँ नजरें ना झुकाया कर !
इश्क है हमसे तो लफ्जों में बयां ‌‌ कर !!

हम तेरे दीदार को तड़पते है रात दीन !
आसमां में चांद सा यूँ ना छिप जाया कर !!

दिल की बात दिल में ना दबा के रख !
शिकायत है मुझसे तो सरे आम कहा कर !!

बेवजह मेरे ख्वाबों में तू न आया कर !
चैन से सोने दे नींद से न जगाया कर !!

मुलाक़ात करना है तो मिलो हमसे आकर !
दरवाजा खुला है घर में आ जाया कर !!

इश्क नहीं है तो इश्क का इजहार न कर !
वक्त कीमती है! मुहब्बत में बेकार न कर !!

लाखों अजमा चुके है किस्मत इश्क कर !
खाकर ठोकर संभल चुके है लोग इश्क कर !!

परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक)
निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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