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प्रेम की पाती – प्रीतम के नाम

मधु टाक
इंदौर मध्य प्रदेश
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हर राज दिल का तुम्हें
बताने को जी चाहता है
हर इक सांस में तुम्हें
बसाने को जी चाहता है
यही है मेरे प्यार, नेह
और विश्वास की बंदगी
खुद से ज्यादा तुम्हें प्यार
करने को जी चाहता है

चाँद तारों की सौगात
तुम्हें देने को जी चाहता है
खुदा के बदले तेरी बंदगी
करने को जी चाहता है
न लगे कभी नजर तुम्हें
इस बेरहम जमाने की
सर पर से तेेरे खुद को
वारने को जी चाहता है

राहों में सदा चिराग
जलाने को जी चाहता है
दामन में उनके सितारे
सजाने को जी चाहता है
हर इक ख़्वाब जो देखा
मुकम्मल हो जाये
तेरी चाहत को तकदीर
बनाने कोे जी चाहता है

हर इक खुशी साथ तेरे
बिताने को जी चाहता है
हर मुश्किलों से तुम्हें
बचाने के जी चाहता है
धड़कते हुए दिल की
यही आरजू है हर पल
दो रंगी दुनिया से तुम्हें
बचाने के जी चाहता है

बहते झरनों का संगीत
सुनाने को जी चाहता है
चाँद की चांदनी में तुम्हें
सुलाने को जी चाहता है
कुदरत ने जो बक्शे हैं
तोहफे बेशकीमती “मधु”
दामन में तेरे कोहनूर
जड़ने को जी चाहता है

परिचय :- मधु टाक
निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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