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चित्रकार

श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
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अद्भुत से हर रंगों से,
उसने खूब सजाया है,
भर तूलिका में सुंदर रंग,
प्रकृति को संवारा है
हर गुण अवगुण को लेकर,
यह संसार निखारा है।

अलग-अलग हैं नाम और रूप,
भिन्न-भिन्न परिभाषाएं,
चौरासी लाख योनियों में
जीवन को भटकाया है
देह दृष्टि के कारण ही यह
जीवन अनमोल बनाया है,
मानव जीवन सबसे सुंदर
यह अहसास कराया है।

फिर भी हम नादानी में
अपने नासमझी कर जाते हैं,
अपनी करनी के ही कारण
जीवन भर पछताते हैं,
कर सेवा हर जीवों की
परम आत्मा को पाना है,
स्वर्ग यही है नर्क यही है,
कर्मो से अपनाना है।

एक निरंतर सबके अंदर
बाकी सब मिट जाना है,
रह सदैव प्रभु चरणों में यह
“जीवन, “सुंदर चित्र” बनाना है।

परिचय :- श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
पति : श्री राकेश कुमार चतुर्वेदी
जन्म : २७ जुलाई १९६५ वाराणसी
शिक्षा : एम. ए., एम.फिल – समाजशास्त्र, पी.जी.डिप्लोमा (मानवाधिकार)
निवासी : लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
विशेष : साहित्यिक पुस्तकें पढ़ने के शौक ने लेखन की प्रेरणा दी और विगत ६-७ वर्षों से अपनी रचनाधर्मिता में संलग्न हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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