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यूँ ही नही मिलती मंजिल

प्रीतम कुमार साहू
लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़)
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यूँ ही नही मिलती मंजिल,
सतत चलना पढ़ता है
कोशिशे बार-बार हमें
अनवरत करना पढ़ता है.

मेहनत दिन-रात कर,
लक्ष्य के मार्ग पर,
लोगों से लड़ कर,
राहें अपनी गड़ कर.
चलना पढ़ता है……..!!

सपने को साथ लिए,

जोश और जुनून. लिए,
जीत का लक्ष्य लिए,
हार कर भी जीत के लिए.
चलना पढ़ता है……..!!

कांटों भरी इन राहों में
संघर्ष की इन मैदानों में
सुखों का त्याग कर,
लक्ष्य अपनी साध कर,
चलना पढ़ता है…….!!

परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक)
निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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