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कलयुग के पाप

परमानंद सिवना “परमा”
बलौद (
छत्तीसगढ)
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नशा पान करके-करते
घर को बदनाम,
घर कि बहु बेटी इज्ज़त को
करते निलाम.!

घर कि लक्ष्मी बना कर
लाते बइमान,
पैसो कि चाह मे गलत
करते बलवान.!

कब तक सहन करोगे
गलत व्यवहार,
दुर्गा काली बन कर
करो संघार.!

गलत आचरण गलत
व्यवहार है मनुष्य के
कलयुग के पाप,
बेटी बहु कि इज्ज़त
सम्मान करो असहाय
दिनहिन कि मदद करो
बन लो अच्छा इंसान..!!

परिचय :-परमानंद सिवना “परमा”
निवासी – मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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