Wednesday, December 18राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

भाव में छिपें हैं भगवान

गगन खरे क्षितिज
कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश)
********************

भाव में छिपें हैं भगवान,
और कण कण में
विराजमान हैं भगवान,
मन मंदिर में ध्यान लगावोंगे
अपने पास ही पाओगे भगवान।

निस्वार्थ उनका मार्गदर्शन
जिस पर तुम चलोंगे अगर
भटक भी जाओगे स्मर्णकर
ईष्ट को तुरंत दिशा दिखायेंगे
प्रभु जो कण कण में विराजमान
हैं वहीं तो मार्ग दिखायेंगे।

हम स्वार्थ वश अपना ही
अहित कर बैठते हैं जबकि
प्राकृतिक ने निस्वार्थ भाव से
हमें सब कुछ दिया है
गगन खूबसूरत दुनिया के
मालिक बना दिया
हम अपनी ही सृष्टि को
उजाड़ने में लगे हैं जहां
जीवन नहीं चांद और मंगल पर
कृत्रिम जीवनशैली के लिए
अपनी धरा को विरान बना रहा है
आधुनिक आदमी नहीं सूझता उसे
अब कोई मार्ग ईश्वर की
आस्था सेबी भाग रहा है
कैसे सुलझायेंगे बारूद ढेर

परिचय :- गगन खरे क्षितिज
निवासी : कोदरिया मंहू इन्दौर मध्य प्रदेश
उम्र : ६६वर्ष
शिक्षा : हायर सेकंडरी मध्य प्रदेश आर्ट से
सम्प्रति : नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण भोपाल मध्यप्रदेश सेवानिवृत्त २०१४
साहित्य में कदम : २०१४ से भारतीय साहित्य परिषद मंहू, मध्य प्रदेश लेखक संघ मंहू इकाई, महफ़िल ए साहित्य कोदरिया मंहू, आर्चना साहित्य संस्थान मंहू, राष्ट्रीय सखी साहित्य परिवार, छत्तीसगढ़ सखी साहित्य परिवार, म. प्र. संखी साहित्य परिवार, राष्ट्रिय हिंदी रक्षक मंच आदि समूह से समय पर जुड़े है।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *