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नर्मदा

निरूपमा त्रिवेदी
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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अमरकंटक शिखर उद्भूता
होहि अरब सागर विलीना
नर्मदा अति पुण्य सलिला
दूजा नाम मेकलसुता, रेवा
बड़ी रोचक ऐहि उत्पत्ति कथा
शिव स्वेद से जन्मी एक कन्या
तासु नाम भयो तब नर्मदा
गंगास्नान से जो पुण्य फल होई
सोई फल नर्मदा दर्शन मात्र से होई
सोनभद्र नाम एक राजा जब देखहि
पिता मेखल तासु शुभ विवाह इच्छहि
विवाह पूर्व सोनभद्र दर्शन उपजी इच्छा
नर्मदा देखी तहां सोनभद्र संग दूजी कन्या
तेहि अवसर नर्मदा मन क्रोध उपजा
दुखित मन लीन्ही एक दृढ़ प्रतिज्ञा
विवाह न करहू संकल्प तब लीन्हा
विपरीत प्रवाह तेहि अवसर कीन्हा
जासु हर पाषाण भयो ईश्वर
रे मन! तासु पुण्य दर्शन कर
रसना भज हर-हर नर्मदे !
पापनाशिनी सर्व कलुष हर ले

परिचय :- निरूपमा त्रिवेदी
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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