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स्वर की पुजारन

अनुराधा प्रियदर्शिनी
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)

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स्वर की पुजारन चली
स्वर की देवी से मिलने
बहुत ही कठिन पल
हमारे लिए यह बहुत है
ममतामई मां को हम
सबने ही अब खो दिया है
स्वरों की मल्लिका के
गीत से हम वंचित हुए हैं
स्वर कोकिला भारत रत्न
लता दीदी चली हैं
माता सरस्वती के धाम
वो उनके संग ही गयी हैं
बसंत पंचमी का उत्सव
एक ओर मनाया जा रहा
दूसरी ओर लता जी
अनंत यात्रा को जाने लगी है
जन्म मृत्यु का चक्र
बहुत ही अनोखा यहां हैं
जन्म जिसने लिया उसकी
मृत्यु निश्चित ही होती
शीश झुका बस इतना ही
कहना मैं चाहूं
यात्रा तुम्हारी मां
अपनी पूर्णता को पाए
आत्मा का मिलन आज
परमात्मा से होने चला है
स्वं ब्रम्ह से आज उनका मिलन हैं

परिचय :- अनुराधा प्रियदर्शिनी
निवासी : प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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