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वोट किसे और क्यों दूॅं ?

नितिन राघव
बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश)

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चुनाव आने से पहले ही गॉंवों के बीएलओ को वोट बनाने की जिम्मेदारी सौंप दी जाती है। जिसमें उन्हें उन युवाओं और युवतियों की वोट बनानी होती है जिनकी आयु अठारह वर्ष हो गयी हो और उनकी वोट काटनी होती है जिनकी मृत्यु हो चुकी है और जो लड़कियॉं शादी करके ससुराल जा चुकी है। प्रायः देखा जाता है कि बीएलओ अपने पक्ष के प्रत्याशी वाले लोगों की नयी वोट भी बना देते हैं और मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों और ससुराल जा चुकी लड़कियों की वोट भी नहीं काटते हैं क्योंकि मौका मिलने पर मृत लोगों की वोट भी किसी ना किसी पर डलवा दी जाती है और ससुराल जा चुकी लड़कियों को बुला लिया जाता है या उनकी वोट भी किसी और से ही डलवा दी जाती है। जो बीएलओ के विरोध वाला प्रत्याशी होता है उसके पक्ष की नयी वोट बनाने के लिए आवश्यक कागजात तो ले लिए जाते हैं परन्तु उनमें से आधे ही आगे भेजे जाते हैं और आधे बीएलओ के घर पड़े पड़े धूल चाटते रहते हैं। विपक्षी दल के मर चुके लोगों और ससुराल जा चुकी लड़कियों की वोट भी ढूंढ ढूंढ के काट दि जाती है। विपक्षी दल की तो जिंदा लोगों की वोट काटने तक की भी कोशिश रहती है।
राघव अठारह वर्ष का हो चुका था। उसने वोट बनाने के लिए गॉंव के बीएलओ को अनेक बार आवश्यक कागजात दे दिए परन्तु उसकी वोट नहीं बनी क्योंकि बीएलओ विपक्षी दल का समर्थक था और राघव बीएलओ की नजर में उसके पसंद के दल का विरोधी था। विधानसभा के चुनाव आने वाले थे तो स्वयं विधायक गॉंव में आए और बोले कि जिनकी भी वोट नहीं बनी है वो अपने कागजात मुझे दे दे। मैं स्वयं तहशील स्तर से वोट बनवा दूंगा। राघव ने उनको अपने कागजात दे दिए। इस बार राघव की वोट बन गई लेकिन राघव अब बाइस वर्षीय हो चुका था।
इस बार राघव की पहली वोट आई तो वह बहुत खुश था परन्तु कुछ ही देर में वो एक दुविधा में पड़ गया। उसने अपने आप से एक सवाल किया कि मैं अपनी वोट किस दल को दूं। जब उसे इस सवाल का जवाब नहीं मिला तो उसके दिमाग में एक विचार आया कि गॉंव के कुछ बुजुर्ग लोगों से इस सवाल का जवाब पूछता हूं। अब उसने पहले बुजुर्ग से पूछा कि बाबा मेरी पहली वोट आई है तो मैं अपनी वोट किस दल को दूं?
बुजुर्ग बोलें कि क्षत्रियो के दल को दो।
उसने पूछा, क्यों?
बुजुर्ग बोलें क्योंकि हम क्षत्रिय हैं।
राघव गॉंव के दूसरे मोहल्ले में गया और दूसरे बुजुर्ग से अपना सवाल किया।
दूसरे बोले कि ब्राह्मण के दल को दो।
उसने पूछा, क्यों?
वो बोले क्योंकि मैं ब्राह्मण हूॅं और ब्राह्मणों ने हमेशा सभी का भला किया है इसलिए तुम्हें ब्राह्मणों के दल को वोट देनी चाहिए।
राघव गॉंव के तीसरे मोहल्ले में गया और तीसरे बुजुर्ग से यही सवाल किया।
तीसरे बोले कि दलितों के दल को दो।
उसने पूछा, क्यों?
वो बोले क्योंकि मैं एक दलित हूॅं और दलितों का ही दल सभी का विकास कर सकता हैं। क्षत्रिय और ब्राह्मण के दलों ने हमेशा से दलितों को दबाया है।
राघव ने तीन बुजुर्ग लोगों से अलग-अलग उत्तर प्राप्त किए परन्तु उसका मन अभी भी सन्तुष्ट नहीं था।
अब राघव ने सोचा कि शायद उसे बुजुर्ग लोगों से नहीं पूछना चाहिए था क्योंकि ये सब तो पुराने जमाने के कम पढे लिखे या अनपढ़ लोग हैं। उसे तो आज के पढे लिखे लोगों से पूछना चाहिए। उसने गॉंव के तीनों मोहल्लों के एक एक अच्छे पढ़ें लिखे लोगों से पूछा कि उसे किस दल को वोट देनी चाहिए। उन तीनों के जबाव सुनकर वो आश्चर्यचकित हो गया क्योंकि उन तीनों ने बिल्कुल बुजुर्गों वाले ज़बाब दोहराएं। राघव अभी भी सन्तुष्ट नहीं था। उसने सोचा कि चलो सबसे पूछ लिया, अब अपने घर चलकर अपने पिताजी से ही पूछता हूॅं। उसने अपने पिताजी से सवाल किया तो उसे अपने सवाल का जवाब तो नहीं मिला पर कुछ और नये सवाल उसके दिमाग में आ गए तथा उनके उत्तर भी उसे मिल गये। उसके पिता ने कहा कि हम क्षत्रिय हैं और हमें क्षत्रिय दल को ही वोट देनी चाहिए।
उसके दिमाग में नया सवाल ये आया था कि क्यों उन पढ़ें लिखे लोगों ने भी बुजुर्गो वाली बात दोहराई और इस सवाल का जवाब भी उसे मिल गया।
परन्तु समस्या अभी भी यही थी कि वो वोट किसे दि जाए और किस आधार पर।
तब वो एक खुलें मैदान में जाकर बैठ गया और उसने निश्चय किया कि वो खुद अपना दिमाग लगाएगा और अपने दिमाग से सोच समझकर, चिंतन-मनन करके अपने सवाल का हल खोजेगा। उसने अपनी ऑंखे बंद कर ली और ठंडे दिमाग से सोच समझकर कुछ मानक तैयार किये कि वो वोट उस दल को देगा जिसने अपने पुराने कार्यकाल में
* गरिबों की गरिबों को कम किया हों।
* झोपड पट्टी और फुटपाथ पर रहने वाले लोगों को मकान दिया हो।
* देश की बेटियों को सुरक्षा देकर लड़कों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने में मदद की हो ।
* जनता को लुटेरों और अपराधियों से बचाया हो।
* भय मुक्त वातावरण बनाया हो।
* भ्रष्टाचार घटाया हो।
* युवाओं को रोजगार दिलाया हो।
* किसान को खुशहाल बनाया हो
* बिजली और पानी घर घर पहुंचाया हों
* सड़कों को चमकाया हों
* शौच मुक्त करा देश को स्वच्छ बनाया हो
* शिक्षा को बढ़ाया हो।
* स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत बनाया हो।
* जातिवाद को हटाया हो।
* जनता में समानता लाया हो।
* प्रकृति और पर्यावरण को बचाया हो।
* भारतीय संस्कृति को बढाया हो।
* भारत को आत्मनिर्भर बनाया हो।
* भारत को अन्य देशों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना सिखाया हो।
* भारत को विकसित देशों की श्रेणी में लाने का सफल प्रयास किया हो।
* देश को लूटकर न खाया हो।
* भारत का सम्मान विश्व में बढ़ाया हो।

परिचय :- नितिन राघव
जन्म तिथि : ०१/०४/२००१
जन्म स्थान : गाँव-सलगवां, जिला- बुलन्दशहर
पिता : श्री कैलाश राघव
माता : श्रीमती मीना देवी
शिक्षा : बी एस सी (बायो), आई०पी०पीजी० कॉलेज बुलन्दशहर, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ से, कम्प्यूटर ओपरेटर एंड प्रोग्रामिंग असिस्टेंट डिप्लोमा, सागर ट्रेनिंग इन्स्टिट्यूट बुलन्दशहर से
कार्य : अध्यापन और साहित्य लेखन
पता : गाँव- सलगवां, तहसील- अनूपशहर जिला- बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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