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हवाओं में तेरी खुशबू है….

राजेन्द्र कुमार पाण्डेय ‘राज’
बागबाहरा (छत्तीसगढ़)

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तुम मेरे ख्वाबों में ही आती हो
ख्यालों में मेरे लम्हें लम्हें को सजाती हो
तेरे प्यार के एहसास से महकता रहता हूँ
छूकर फूलों को तेरे डिम्पल का एहसास होता है
नाजुक कलियों का स्पर्श लबों का स्पर्श लगता है
धड़कते दिल में मेरे जज्बातों का सैलाब है
आंखों की नमी सागर उठती गिरती लहरों सी है
निगाहों से निगाहें जब भी मिलती है
प्यार का उफनता सागर लहराया करता है
ठहर जाओ कुछ लम्हों के लिए दे एक शाम
नमकीन हवाओं की सरसराहटों से आये तेरा पैगाम
छूकर लबों को उतर जाओ कभी रूह में मेरे
चलते चलते कुछ अपनी कहते कुछ मेरी सुनते
गीले रेत पर बने तेरे पदचिन्ह तेरे प्यार का एहसास जगाते
साथ साथ जिये थे जिंदगी के कुछ लम्हों को हम
हमारे प्यार से बिताए हुए ये एहसास पल
मेरे उदास भरे जीवन जीने का सहारा मिल जाता
आस पास तेरे होने का हरपल एहसास है मुझको
जिंदगी के इस आपाधपी के दौर में तुम मेरी सुकून हो
तेरी मौजूदगी ही मेरा सम्बल है हौसला है मेरी ताकत है
जब कोई गीत गुनगुनाता हुँ उस साज की आवाज हो
उन मधुर स्वर लहरियों में गुंजित रव तेरा अहसास है
हवाओं में लहराती हुई मदभरी खुशबू में तेरा एहसास है
मेरे रूह में उत्त्तपन्न होने वाली तेरे स्पंदन का एहसास है
मेरे हर अरदास की मधुर तान में तेरा अहसास है
थककर चूर हुए बदन में तेरे स्पर्श का मीठा एहसास है
मेरी खुशियाँ भरी आहटों तेरे मुस्कान भरी अहसास है
सोनू तेरा ये मेरे होने का अहसास ही एक प्रेम है

परिचय :-  राजेन्द्र कुमार पाण्डेय ‘राज’
निवासी : बागबाहरा (छत्तीसगढ़)
सम्प्रति : प्राचार्य सरस्वती शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, बागबाहरा
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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