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इम्तिहान

मधु टाक
इंदौर मध्य प्रदेश
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वो सिरफिरी हवा थी सम्हलना पड़ा मुझे
हर पल इम्तहानो से गुजरना पड़ा मुझे!

मेरी यादें फिज़ा में हर तरफ महक जाये
इश्क़ में तेरे इस तरह बिखरना पड़ा मुझे

डाल दी है भंवर में कश्ती सम्भालो तुम
इसी उम्मीद से समंदर में रहना पड़ा मुझे

मेरे हौसलों में इजाफा कम न हो जाए
आँधी और तूफानो में उतरना पड़ा मुझे

गुजरे जिधर से हर एक राह रोशन रहे
जला कर दिल उजाला करना पड़ा मुझे

उसकी बेचैनियों को भी सुकून मिल जाये
रात भर उसकी आँखों में ठहरना पड़ा मुझे

इश्क़ में सनम मेरा कहीं रुसवा न हो जाये
दरमिया इश्क़ के फासला रखना पड़ा मुझे

किनारे पर बैठ कर कुछ आता नहीं नज़र
डूब कर सागर के गौहर देखना पड़ा मुझे

फूलों से निकलकर जो आ जाये “मधु”
करिश्मा ये कुदरत का कहना पड़ा मुझे

परिचय :- मधु टाक
निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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