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सार-सार को जान लें

डाॅ. दशरथ मसानिया
आगर  मालवा म.प्र.
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गायन शोध नवाचार

सकल नाम संज्ञा कहो,
बदले सर्वनाम।
करत काम किरिया लखो,
कहत है कवि मसान।।
व्यक्ति भाव जाति अरू,
समूह द्रव्य को ज्ञान।
पांच भेद संज्ञा कहो,
कहत है कवि मसान।।
निश्चय व अनिश्चय कहो,
प्रश्न पुरुष निज जान।
सर्वनाम के भेद छः,
अंतिम संबंध मान।।
कब कहां कैसे किसका,
कौन कौनसा ज्ञान?
क्या क्यों को भी जानिए,
प्रश्नों की पहिचान??
कर्ता कर्म करण अरू,
सम सम्बोधन जान।
अपादान अधिकरण अरु,
संबंध कारक मान।।

परिचय :- आगर मालवा के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय आगर के व्याख्याता डॉ. दशरथ मसानिया साहित्य के क्षेत्र में अनेक उपलब्धियां दर्ज हैं। २० से अधिक पुस्तके, ५० से अधिक नवाचार है। इन्हीं उपलब्धियों के आधार पर उन्हें मध्यप्रदेश शासन तथा देश के कई राज्यों ने पुरस्कृत भी किया है। डॉं. मसानिया विगत १० वर्षों से हिंदी गायन की विशेष विधा जो दोहा चौपाई पर आधारित है, चालीसा लेखन में लगे हैं। इन चालिसाओं को अध्ययन की सुविधा के लिए शैक्षणिक, धार्मिक महापुरुष, महिला सशक्तिकरण आदि भागों में बांटा जा सकता है। उन्होंने अपने १० वर्ष की यात्रा में शानदार ५० से अधिक चालीसा लिखकर एक रिकॉर्ड बनाया है। इनका प्रथम अंग्रेजी चालीसा दीपावली के दिन सन २०१० में प्रकाशित हुआ तथा ५० वां चालीसा रक्षाबंधन के दिन ३ अगस्त २०२० को सूर्यकांत निराला चालीसा प्रकाशित हुआ।
रक्षाबंधन के मंगल पर्व पर डॉ दशरथ मसानिया के पूरे ५० चालीसा पूर्ण हो चुके हैं इन चालीसाओं का उद्देश्य धर्म, शिक्षा, नवाचार तथा समाज में लोकाचार को पैदा करना है आशा है आप सभी जन संचार के माध्यम से देश की नई पीढ़ी को दिशा प्रदान करेंगे।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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