Thursday, November 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

पिंजरे के परिंदे

प्रीतम कुमार साहू
लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़)
********************

आकाश में उड़ते परिंदे को तुम
किस गुनाह की सजा देते हो..!
अपने खुशियों के खातिर तुम
पिंजरे में कैद कर लेते हो..!!

अपनों से उन्हें तुम करके दूर
पिंजरे में कैद क्यों करते हो..!
उनका भी अपना एक जीवन है
उन्हें जीने क्यों नहीं देते हो..!!

इंसान हो तुम, इंसान ही रहो
दानव सा काम क्यों करते हो..!
उड़ने की उन्हें भी आजादी दो
हक उनका तुम क्यों छीनते हो..!!

बंद पिंजरे में तड़पते परिंदे,
तरस नहीं तुम खाते हो..!
आकाश में उड़ते परिंदे को तुम
किस गुनाह की सजा देते हो..!!

परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक)
निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *