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स्वर की मधुरता

कीर्ति मेहता “कोमल”
इंदौर (मध्य प्रदेश)

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१० साल की आरिया काफी समय बाद आज अपने कमरे की खिड़की से, अस्ताचलगामी सूर्य की लालिमा से रक्ताभ हुए आकाश में पंख पसारे पक्षियों की चहचहाहट को केवल महसूस कर पा रही थी।
४ महीने पहले “कनेक्टिव टिशु डिसऑर्डर” नाम की बीमारी ने उसकी सुनने की क्षमता को छीन लिया था।

आरिया मतलब मेलोडी माने स्वर की मधुरता।

४ साल की उम्र से ही आरिया का संगीत में रुझान था।
जब उसकी उंगलियां गिटार पर चलती और खनकती आवाज़ में वो कोई गाना गाती तो लोग अपनी सुध बुध भूल जाते।
संगीत के प्रति उसका लगाव धीरे-धीरे उसका जुनून बनने लगा था, उसका सपना था कि एक दिन वह एक मशहूर सिंगर बनेगी।

लेकिन आज पक्षियों के कलरव ने उसे आशा की नई किरण दी थी।

धीरे-धीरे आरिया में आत्मविश्वास बढ़ने लगा, क्या हुआ अगर वो सुन नहीं सकती थी, उसने संगीत को महसूस करना शुरू कर दिया।
अब उसने अपने पैरों और मष्तिष्क में धीरे-धीरे कम्पन और ताल को महसूस करके अपनी आवाज़ के उतार-चढ़ाव पर भी नियंत्रण पा लिया था। एक बार फिर संगीत आरिया की पूरी दुनिया बन गया था।
१० साल बाद…..
आज मुंबई के एक बड़े स्टेडियम में अपने लाखों फेन्स के सामने बड़े से स्टेज पर नंगे पैर स्पॉट लाइट में खड़ी आरिया, अपने सपनों की नन्ही उड़ानों को एक विस्तृत आकाश पाते देख रही थी।

परिचय :- कीर्ति मेहता “कोमल”
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : बीए संस्कृत, एम ए हिंदी साहित्य
लेखन विधा : गद्य और पद्य की सभी विधाओं में समान रूप से लेखन
रचना प्रकाशन : साहित्यिक पत्रिकाओं में, कविता, कहानी, लघुकथा, गीत, ग़ज़ल आदि का प्रकाशन, आकाशवाणी से प्रसारण।
प्राप्त सम्मान : अभिव्यक्ति विचार मंच नागदा से अभियक्ति गौरव सम्मान तथा शब्दप्रवाह उज्जैन द्वारा प्राप्त
लेखनी का उद्देश्य : जानकारी से ज्ञान प्राप्त करना।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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