Thursday, November 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

जिंदगी का कडवा सच

डॉ. तेजसिंह किराड़ ‘तेज’
नागपुर (महाराष्ट्र)
********************

एक ऐसा सत्य जो रोज
घटित होता है जिंदगी में।
समझकर भी अनदेखा
कर देते है पूरी जिंदगी में।

हर चीज पाने की चाह में
गुजर रही है ये जिंदगी।
मूल्यों को दरकिनार कर
मस्ती में गुजर रही जिंदगी।

आज सुबह दौड़ते हुए,
कुछ लोगो को देखा मेनें।
हर कोई तेज भाग रहा था आगे,
अपने सत्य से मुंह छिपाते
आगे निकलते देखा मेने।

अंदाज़ा लगाया कि मुझसे
थोड़ा धीरे ही भाग रहे थे।
एकअजीब सी खुशी मिली।
कि मैं पकड़ लूंगा उन्हें।
मैं तेज़ और तेज़ दौड़ने लगा।
आगे बढ़ते हर कदम के साथ
मैं भी उनके करीब पहुंचनें लगा।

कुछ ही पलों में,
मैं उससे सौ क़दम पीछे था।
निर्णय ले लिया था कि
मुझे उसे पीछे छोड़ना है।
तब थोड़ी गति और बढ़ाई।

अंततः लक्ष्य पा लिया
उनके पास पहुंच,
अब मैं भी उनसे आगे निकल ही गया।
आंतरिक हर्ष की अनुभूति,
कि मैंने उन्हें हरा ही दिया।

बेशक उन्हें नहीं पता था
कि हम दौड़ लगा रहे थे।
मैं जब आगे निकल गया,
तो एहसास हुआ कि
दिलो-दिमाग पर इस स्पर्धा
का भूत आखिर क्यों सवार था।

घर का मोड़ छूट गया
मन का सुकून खो गया
आस-पास की खूबसूरती
और हरियाली नहीं देख पाया,
स्पर्धा लगाने में मैं अपनी
खुशियों तक को भूल गया।

व्यर्थ की जल्दबाज़ी में
मैं दो-तीन बार भी गिरा।
शायद ज़ोर से गिरने पर,
कोई हड्डी टूट जाती,
व्यर्थ के इस जुनून से अब
बहुत कुछ सीखा जिंदगी में।

अब समझ में आया कि
यही तो होता है जीवन में,
जब हम अपने साथियों को,
पड़ोसियों को, दोस्तों को,
परिवार के सदस्यों को,
प्रतियोगी समझते हैं।

उनसे बेहतर करना चाहते हैं।
प्रमाणित करना चाहते हैं
कि हम उनसे अधिक सफल हैं या
अधिक महत्वपूर्ण।
बहुत महंगा पड़ता है,
क्योंकि अपनी खुशी भूल जाते हैं।

अपने समय और ऊर्जा को
पीछे भागने में गवां देते हैं।
इस सब में अपना मार्ग और
मंज़िल तक भूल जाते हैं।

भूल जाते हैं कि नकारात्मक
प्रतिस्पर्धाएं कभी ख़त्म नहीं होंगी।
हमेंशा कोई आगे होगा।
किसी के पास बेहतर नौकरी होगी।

बेहतर गाड़ी होगी,
बैंक में अधिक रुपए,
तो अधिक जायदाद होगी।
ज़्यादा पढ़ाई,
ज़्यादा संस्कारी बच्चें,
बेहतर परिस्थितियां
तो किसी के बेहतर हालात।

इस सब में एक एहसास ज़रूरी है कि,
बिना प्रतियोगिता किए ही
हर इंसान श्रेष्ठ हो सकता है।
असुरक्षित महसूस करते हैं चंद लोग।

कि अत्यधिक ध्यान देते हैं
दूसरों कि जिंदगी पर
कि–
कहां जा रहे हैं ?
क्या कर रहे हैं ?
क्या पहन रहे हैं ?
क्या बातें कर रहे हैं ?

जो है, उसी में खुश रहो।
स्वीकार करो और समझों
कि कितने भाग्यशाली हो।

ध्यान नियंत्रित रखो।
स्वस्थ, सुखद ज़िन्दगी जिओ।
भाग्य में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है।
सबका अपना-अपना है।

तुलना और प्रतियोगिता
हर खुशी को चुरा लेते‌ हैं।
अपनी शर्तों पर जीने का
आनंद छीन लेते हैं।

अपनी दौड़ खुद लगाओ,
किसी प्रतिस्पर्धा के लिए नहीं बल्कि,
अपने जीवन को संस्कारित,
खुश और शांतपूर्ण बनाने के लिए।
इस सत्य को समझना होगा
कडवा है ये जहर पीना होगा
जिंदगी के मायने भी यही है
जो आज है वो कल नहीं है।

परिचय :- डॉ. तेजसिंह किराड़ ‘तेज’
मूल निवासी : अमझेरा, जिला धार (म.प्र.)
जन्म दिनांक : १२/११/१९६६
शिक्षा : एम.ए.,एमफिल, पीएच.डी
* वरिष्ठ पत्रकार व राजनीति विश्लेषक
* शिक्षाविद्‌
* भूगोलवेत्ता
* पीएचडी शोध सुपरवाईजर
* कवि, कहानीकार व लेखक
सम्प्रति : (सहायक कुलसचिव ) नागपुर (महाराष्ट्र)
सम्मान : ग्राम गौरव अवार्ड, समाज रत्न सम्मान, समाज भूषण अवार्ड, उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान, प्रखर प्रवक्ता सम्मान, साहित्य रत्न और साहित्य भूषण सम्मान, यंग ज्याग्राफर्स अवार्ड, क्रांतीकारी लेखक सम्मान, उत्कृष्ट मंच संचालक सम्मान, शब्द अलंकरण सम्मान, सरस्वती मानस सम्मान, उत्कृष्ट समाज सेवक सम्मान आदी सम्मान से सम्मानीत।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें….🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *