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भयातुर शिक्षक

सुरेश चन्द्र जोशी
विनोद नगर (दिल्ली)
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भयभीत शिक्षक समाज आज,
भूल मकर संक्रांति कक्षा पढ़ा रहा।
राजनीतिक दबाव में शिक्षक आज,
भूल पर्वों को कक्षा पढ़ा रहा।।

विद्यार्थी चाहे जुड़ना चाहे नहीं चाहे,
शिक्षक उपकरण माध्यम से पढ़ा रहा।
विद्यार्थी अप्रत्यक्ष कुछ भी शरारत करें,
शिक्षक विवस मौन उपकरण से पढ़ा रहा।।

कक्षा उपकरण माध्यम से लेने का,
आदेश राजनैतिक मिलता रहा।
भुलाकर मकर संक्रांति स्नान शिक्षक,
उपकरण माध्यम से विषय पढ़ाता रहा।।

हो चाहे लोहड़ी उत्तरायणी पर्व अब,
शिक्षक पर्व कोई मना नहीं सकते।
सेवा शिक्षण की चाहिए सुरक्षित तो,
अब शिक्षक पर्व कोई मना नहीं सकते।।

अति बिचित्र यह शिक्षा व्यवस्था,
हो गई है राष्ट्रीय राजधानी की।
कब लौटेगी वह शिक्षण व्यवस्था,
जो लुप्त हो गई है राष्ट्रीय राजधानी की।।
शिक्षक भयातुर करके कैसे तुम,
शिक्षा प्रारूप का स्वप्न देख सकते हो।
भ्रमित कर निम्न वर्ग को तो तुम,
कर्गदी प्रारुप का ही स्वप्न देख सकते हो।।

परिचय :- सुरेश चन्द्र जोशी
शिक्षा : आचार्य, बीएड टीजीटी (संस्कृत) दिल्ली प्रशासन
निवासी : विनोद नगर (दिल्ली)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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