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वतन बदनाम करने पर हैं

जुम्मन खान शेख़ बेजार अहमदाबादी
अहमदाबाद (गुजरात)
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वतन बदनाम करने पर हैं आमादा वतन वाले।
बहुत देखा मगर मिलते नहीं हैं अब जतन वाले।

बहुत बेबाक अल्फ़ाजो से अब हमको नवाजा है,
यही उनका बचा है फ़न जो आजमाते हैं फ़न वाले।

जमाना क्या कहेगा हमको, इसकी फ़िक्र है किसको,
ये वतन सोने की चिड़िया थी, कभी सोचा पतन वाले।

मिटा दो आशियां अपना, जला दो हर शहर अपना,
कफ़न बिक जायेंगे उनके, जो बैठे हैं कफ़न वाले।

बेजार, अब देखा नहीं जाता है, बर्बादी का ये मंज़र,
तुम क्यों वीरान करते हो चमन अपना चमन वाले।

परिचय :- जुम्मन खान शेख़ बेजार अहमदाबादी
निवासी : अहमदाबाद (गुजरात)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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