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आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी

राम स्वरूप राव “गम्भीर”
सिरोंज- विदिशा (मध्य प्रदेश)

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अब न आये ऐसी आफत, जैसी उनने झेली है।
अपनी आजादी की खातिर वक्ष पे गोली ले ली है।।
जय- जय अमर शहीद मेरे, जय जय अमर शहीद।
करते अपनी मेहनत, अपनी रोटी चैन से खाते हैं।
बुंदेले -हरबोले, चारण जिनके गीत सुनाते हैं।।
हम सोते हैं सुख नींदों में उनकी ही सौगातें हैं।
जो उनकी थी अंतिम रात्रि, हमको शुभ प्रभातें हैं।
दीवाली हो रोशन, उनने खून की होली खेली है।।
अपनी आजादी की खातिर वक्ष पे गोली ले ली है।
जय-जय अमर शहीद मेरे जय- जय अमर शहीद
उनका भी परिवार खड़ा था, उनकी भी थी अभिलाषा।
किन्तु रगों का गर्म लहू रखता था उनसे कुछ आशा।
एक ध्येय था, एक लालसा एक थी उनकी परिभाषा।
इंकलाब के नारे मुँह पर वन्दे मातरम् की भाषा।
जौहर के समतुल्य समर हो, स्वयं आहूति दे ली है।।
अपनी आजादी की खातिर वक्ष पे गोली ले ली है।
जय- जय अमर शहीद मेरे जय- जय अमर शहीद।।
जयचंदो से बचकर रहना, चंद बचें जो शेष हैं।
बाहर दिखते स्वच्छ परंतु अंदर विष परिवेश है।
हमरा खाते, हममें सोते , हमको देते क्लेश हैं।
और नहीं वे कोई अपनी आस्तीन के शेष हैं।
इन पर कैसे विजय करें हम यह “गम्भीर” पहेली हैं।
अपनी आजादी की खातिर वक्ष पे गोली ले ली है।
वंदे अमर शहीद हमारे जय जय अमर शहीद।।

परिचय :- राम स्वरूप राव “गम्भीर” (तबला शिक्षक)
निवासी : सिरोंज जिला- विदिशा
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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