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वह कौन थी

सीताराम पवार
धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश)
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न जाने कैसी उलझन है
जिसे मैं सुलझा नहीं पाया”
वह कौन थी अब तक भी
मै उसे समझ नहीं पाया

क्या तिलस्म था उसका
रात भर मै भी सो नहीं पाया।
जब उसे मैं याद करता हूं वो
जादू भरा तिलस्मी चेहरा

न जाने कैसी उलझन है
जिसे मैं सुलझा नहीं पाया।
आंखों से दिखाई नहीं देती
ओर सुनाई भी नहीं देती

तिलस्मी हूर है कोई जिससे
मैं कुछ कह नहीं पाया।
पलों में ओर लम्हों में वो
आती है आकर चली जाती

सोचता हूं लिखूं गजल मै
उस पर मगर लिख नहीं पाया।
वो उलझी अनबुझ पहेली है
इसे बूझना भी मुश्किल है

ये तिलस्मी पहेली को
अभी तक मै बुझ नहीं पाया।
मैं अनजान हूं उससे वो
मुझसे अनजानी नहीं लगती

दिन ढलने पर वो छिप जाती
उसको मै ढूंढ नहीं पाया।
मैं इस दुनिया में आया था
वह भी मेरे ही साथ ही आई थी

अब तो मेरे साथ ही जाएगी
वो तिलस्मी मेरी अपनी छाया।

परिचय :सीताराम पवार
निवासी : धवली जिला बड़वानी (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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