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बेखुदी

मधु टाक
इंदौर मध्य प्रदेश
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रात के टुकड़े पे पलना छोड़ दे
वक्त के साँचे में ढलना छोड़ दे

तू ख़्वाब है जागती आँखों का
बंद पलकों में मचलना छोड़ दे

इश्क़ में एहतियात है लाज़िम
बेखुदी में अब रहना छोड़ दे

चटक गया है दिल का आईना
हर पल इसमें सवरना छोड़ दे

है सुकु दिल को न चैन रूह को
हसरतों के पीछे पड़ना छोड़ दे

सच कितना भी गर कड़वा लगे
साथ झूठ के तू चलना छोड़ दे

एक ही लम्हे में ज़िंदगी जी लीये
ताउम्र घुट घुट के मरना छोड़ दे

है इल्म मुझको तुम नहीं हो मेरे
ज़ख्मो से तू अब रिसना छोड़ दे

महक जाती हूँ तेरे अल्फ़ाजो में
किताबों मे खत रखना छोड़ दे

जमी पर मुहब्बत जो सोई नहीं है
साथ तारों के “मधु” जगना छोड़ दे

परिचय :- मधु टाक
निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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