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संविधान से दोस्ती

प्रीति धामा
दिल्ली
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है बात ये पते की, है भी कुछ नई,
करो तुम भी कभी, संविधान से दोस्ती!
नियम, कानून, और व्यवस्था को जानोगे,
फिर कभी नहीं, तुम कानूनों से भागोगे!
संविधान बताता, देश की बानगी,
संविधान बताता, अधिकारों की रवानगी!
संविधान भारतीयों की ढ़ाल बना है,
संविधान देश की आन लिए खड़ा है!
जो खुद को तानाशाह कहलवाता,
संविधान उन्हें है धूल चटाता!
लोकतंत्र का परचम, धर्मनिरपेक्षता की कहानी,
संविधान बताता अपने अनुच्छेदों की जुबानी,
अपने अधिकारों का मोल तुम भी जानोगे,
तब सरकारों से भी अपना हक़ तुम माँगोगे!
एक यही तो वो आधार है,
इसके बिना क्या ही जनाधार है,
इसलिए है ये बात पते की, है भी कुछ नई,
करो तुम भी कभी, संविधान से दोस्ती!

परिचय :-  प्रीति धामा
निवासी :  दिल्ली
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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