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केसरिया बाना

मालती खलतकर
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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काली-काली धरती मेरी
नीला आकाश।
पीला साफा पहने
भारत मां के लाल
अंबर की छाई लाली
इस धरती पर आकर
बैरी कितने भाग चुके हैं
हार मार खाकर।-
केसरिया बाना बांध कफन सा
आगे बढ़ो जवानो
बैरी दल को काट काट कर
भारत मां के चरणों में डालो।

परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ीआप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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