निरुपमा मेहरोत्रा
जानकीपुरम (लखनऊ)
********************
चेतन गुस्से से भरा, नाश्ते को बिना मुंह से लगाए, लंच बॉक्स छोड़कर ऑफिस के लिए निकल गया। वीणा के दिल पर जैसे कोई हथौड़ा मार गया हो। ऐसा वाकया अक्सर ही होता था, जब चेतन उसके करे काम में कोई-न-कोई नुस्क निकाल, अपना दंभ साकार कर लेता था। वीणा को चेतन के जीवन में आए मात्र छह महीने हुए थे, पर शायद ही कोई दिन ऐसा बीता हो जब वह किसी न किसी बात पर न चिल्लाया हो। वीणा से अब उसका उग्र स्वभाव बर्दाश्त के बाहर हो गया था। अभी तक वह यही सोचकर चुप रही कि शायद चेतन का व्यवहार बदल जाएगा, पर ऐसा कुछ न होने पर उसका धैर्य जवाब देने लगा। अंततः वीणा ने तय कर लिया कि अपनी मां को हर दिन की एक-एक बात बताएगी। वह चेतन को छोड़ने तक का मन बना चुकी थी।
मकर संक्रान्ति का पावन पर्व था। वीणा ने देखा कि चेतन हाथ में कई रंगीन पतंगें और चरखी लेकर सीधे छत पर चला गया और फिर वहीं से उसने वीणा को ऊपर आने के लिए पुकारा। वीणा कुढ़ी-भुनी, बड़बड़ाती हुई, बेमन से छत पर गई। चेतन ने चरखी उसको पकड़ाते हुए लाल बिंदी वाली पतंग खुले आकाश में छोड़ दी। पतंग डोर से बंधी धीरे-धीरे ऊपर जा रही थी। चेतन की पतंग अलग उड़ रही थी, उसे न किसी दूसरे को काटने की तमन्ना थी और न ही किसी दूसरे से प्रतिस्पर्धा। उसकी पतंग, मजबूत हाथों की उंगलियों की पकड़ में, झूमती लहराती अपने में मगन थी।
वीणा कुछ देर तक चरखी लिए मन ही मन उलझी गुत्थी को सुलझाने का प्रयास करने लगी। अंततः उसको समझ आ गया कि जिस रिश्ते के साथ वह चल पड़ी है, उसके साथ बंधे रहने में ही उसकी अपनी जीवन यात्रा सुरक्षित भी है और मर्यादित भी। विशाल आकाश में तैरते पतंगों के मेले में वीणा ने अपनी लाल बिंदी वाली डोर से बंधी पतंग ढूंढ ली।
परिचय :- निरुपमा मेहरोत्रा
जन्म तिथि : २६ अगस्त १९५३ (कानपुर)
निवासी : जानकीपुरम लखनऊ
शिक्षा : बी.एस.सी. (इलाहाबाद विश्वविद्यालय)
साहित्यिक यात्रा : कहानी संग्रह ‘उजास की आहट’ सन् २०१८ में प्रकाशित। अभिव्यक्ति साहित्यिक संस्था द्वारा प्रति वर्ष प्रकाशित कहानी संकलनों में कहानियां प्रकाशित। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कहानी, कविता, यात्रा वृत्तांत तथा लेख प्रकाशित।
सम्प्रति : भारतीय स्टेट बैंक से सन् २०१३ में सेवानिवृत्ति के पश्चात स्वतंत्र लेखन एवं सामाजिक संस्था ‘श्री महिला शक्ति मंडल फाउंडेशन लखनऊ’ के माध्यम से सामाजिक सरोकारों से जुड़ाव।
सम्मान : लोपामुद्रा सम्मान- २०१८
घोषणा पत्र : यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻
आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 hindi rakshak manch 👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.