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रिटायरमेंट

नितेश मंडवारिया
नीमच (मध्य प्रदेश)
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रिटायरमेंट के बाद खुद से सम्मुख होने का मौका मिला। जिंदगी बेफिक्री से उनके कंधे पर सर रख कर थकान मिटा रही थी… रिटायरमेंट के बाद मंडवारिया जी एक दम फ्री हो गए थे। बच्चों की शादियां कर दी थीं। बस एक सपना था कि रिटायरमेंट के बाद मिले पैसों से पत्नी को विदेश की सैर करवानी है। सो टिकट ऑनलाइन बुक करवाया। स्विट्ज़रलैंड में होटल बुक करवाया। बच्चों को पहले ही खबर कर दी थी। बच्चे खुश थे कि पापा अब तो अपनी जिंदगी मम्मी के साथ खुल कर जिएं। आखिर वो दिन भी आ गया। पहली बार हवाई जहाज में सफर करने का मौका मिला। नौकरी के दौरान जिम्मेदारी के बोझ ने कभी जिंदगी को खुल के जीने का मौका ही नहीं दिया। कभी होम लोन, कभी बच्चों की पढ़ाई तो कभी बच्चों की शादी की चिंता। पत्नी की दबी हुई आकांक्षाए मन में घुटती रहीं। कभी कोई शिकायत नहीं की। बस पति, बच्चे और घर। आज पत्नी ने जब हवाईजहाज में बैठे-बैठे उनके कंधे पर अपना सर रखा तो मंडवारिया जी का मन भर आया। उनकी पत्नी बिना कुछ बोले ही सब कुछ कह रही थीं। आज मंडवारिया जी को लगा कि अपने लिए जिंदगी तो अब जी रहा हूं। रिटायरमेंट जिंदगी का दी एंड नहीं होता। ये तो जिंदगी को हैलो कहने और अपनी इच्छाओं को पूरा करने का समय होता है। पूरा जीवन नौकरी की भागदौड़ और दूसरों के लिए जिया अब तो हर दुख-सुख की साथी के लिए जीना है।

परिचय :- नितेश मंडवारिया
निवासी : नीमच (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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