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एक रस्ते के मुसाफिर

आलोक रंजन त्रिपाठी “इंदौरवी”
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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एक रस्ते के मुसाफिर
आप भी हैं हम भी हैं
अब तो इस गुलशन में
हाजिर आप भी हैं हम भी हैं

खूबसूरत साज है
दिलकश यहां आवाज है
इश्क की नजरों में कातिल
आप भी हैं हम भी हैं

आज पैमाने छलककर
होठ तक आये मेरे
दर्द में इस दिल के
शामिल आप भी हैं हम भी है

जाम आंखों से जो पीकर
होश मैंने खो दिया
अब इसी महफ़िल के काबिल
आप भी हैं हम भी हैं

जिस अदा से आपनें
दस्तक दिया दिल पर मेरे
बस उसी खुशबू की हाशिल
आप भी हैं हम भी हैं।

परिचय :- आलोक रंजन त्रिपाठी “इंदौरवी”
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एमए (हिंदी साहित्य)
लेखन : गीत, गजल, मुक्तक, कहानी, तुम मेरे गीतों में आते प्रकाशन के अधीन, तीन साझा संग्रह में रचनाएं प्रकाशित, १० से ज्यादा कहानियां पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित, ५० से ज्यादा गीत के चल पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित, २०१६ से लेखन में अभिरुचि
विशेष : आध्यात्मिक प्रवक्ता एस्ट्रोलॉजर
घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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