Wednesday, December 18राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

वक्त का आईना

ऋतु गुप्ता
खुर्जा बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश)

********************

शारदा जी के पास उनके प्रभाकर भैया का फोन आया था कि तेरी सरोज भाभी सीढ़ियों से गिर गई है, रीड की हड्डी में गंभीर चोट आई है, ना जाने अब बिस्तर से उठ भी पाएगी या नहीं, बच्चे भी पास में नहीं रहते, पता नहीं अब किस तरह बुढ़ापा कटेगा। इतना सुनकर एक बार को तो शारदा जी का मन फिर से अतित की उन गलियों में चला गया, जब उनके भाई प्रभाकर जी का विवाह सरोज भाभी के साथ हुआ था। सरोज भाभी शहर की पढ़ी लिखी थी, और उस समय में भी स्वतंत्र विचारों की थी। आजादी के नाम पर अपनी मनमानी करने वाली थी। वह अपनी सुंदरता के आगे किसी को कुछ ना समझती थी, और बेचारी अम्मा ठहरी सीधे सरल स्वभाव की बस अपने लल्ला (प्रभाकर जी) का ही भला चाहती थी, सोचती मैं ही चुप रहूं तो क्या बिगड़े, ताकि उनके बेटे की गृहस्थी में कोई अलगाव की अंगिठि ना सुलग जाये, और सोचती कि अभी बहू न‌ई-न‌ई है, कच्ची उम्र है, धीरे-धीरे सब सीख जायेगी।
पर अम्मा का वो मौन सरोज भाभी को और बढ़ावा देता और धीरे-धीरे सरोज भाभी ने भैया को अम्मा से इतना दूर कर दिया कि जब वो गिर कर पैर में चोट के कारण बिस्तर से लग गई, तो अंतिम समय तक वो रात दिन अपने बेटे को ही याद करती रही, क्योंकि अब उनका बेटा प्रभाकर और बहू दोनों अलग घर में रहने लगे थे।

प्रभाकर जी शुरू शुरू में तो रोज अपनी मां से मिलने आते लेकिन धीरे-धीरे दिनों की गिनती बढ़ने लगी, और अब तो आखिरी समय में अम्मा पूरी तरह से किरायेदारों पर आश्रित थी। वह तो ईश्वर का लाख-लाख शुक्र था कि किराएदार दंपति बहुत ही भगवत भक्त थे, और इंसानियत के नाते ही सही वो अम्मा का ध्यान रखते थे, और फिर एक दिन अम्मा अपने बेटे बहू का इंतजार करते-करते राम-नाम में विलीन हो ग‌ई। पर कहते हैं ना कि वक्त का आईना सभी को देखना पड़ता है, आज सरोज भाभी उसी स्थिति में थी, जहां कभी अम्मा थी, उन के खुद के बच्चे चाहे नौकरी कह दो या कोई और वजह आज उनके अपने साथ नहीं थे ।
खैर शारदा जी का मन तो नहीं था सरोज भाभी से मिलने का, पर वो फिर भी निकल पड़ी वक्त के आईने का एक और पहलू देखने के लिए ….

परिचय :-  ऋतु गुप्ता
निवासी : खुर्जा बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *