विजय गुप्ता
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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वक़्त का वक्तव्य तो सौभाग्य से असीम अनुभव दे गया
संवाद समय का समन्वय ही चुस्त बना देता बुजुर्गों को।सदा ही सुनते कि बुढापे में स्मृति व्यवधान आ जाता है
हालातों से बचाव भाव ही मजबूर बनाता है बुजुर्गों को।रुचिकर ज्ञान ध्यान मान में अतीत का अनुभवी जीवन
व्यथित व्यवस्था में नए ढंग उत्साहित करता बुजुर्गों को।कष्ट अनेक वृद्धावस्था में, कुछ जज़्बात भी साथ होते हैं
एहसास करने का स्वभाव ही, खुशियां देता बुजुर्गों को।माना जरावस्था में सुनने की शक्ति भी क्षीण हो जाती है
ऊंचे स्वर बिना भी सहज संवाद सुनाई देता बुजुर्गों को।निज सेवा आदत जिनकी ना रही हो वृद्धों की जिंदगी में
सिर पैर कमर में हल्का दबाव सुकून दे जाये बुज़ुर्गों को।वाह वाह, जय हो, आनंद आ गया वाली जब बोली सुनो
जैसे दुखती हुई रगों में आराम पहुंचा हो अब बुजुर्गों को।सदैव सुनते रहे बच्चे बूढ़ों की समझ एक जैसी रहती है
बच्चों जैसी परवरिश राह ही ढाढस दे जाए बुजुर्गों को।अनियमितता की आदत बहुत खूबसूरती से बदल जाती
छोटे छोटे कार्य में लिप्त समय, साहस देता है बुजुर्गों को।बुढ़ापा अशक्त बनाता चले, और समय ही समय होता है
समय के समृद्ध वृद्ध को समयदान सुख देता बुजुर्गों कोसमय पे खाना दवाई पूजा आरती वाचन लेखन शयन हो
उपरोक्त कार्यों का अंजाम ही उमंग जगाता है बुजुर्गों को।नास्तिक भाव और धर्म ज्ञान का अपार भंडार भरा रहता
कोई बड़ी घटना शायद आस्तिक बना जाता बुजुर्गों को।ज्ञानी और तर्कशील मन में असंख्य विचार घुमड़ते रहते
कुछ विचार जानने सुन लेने की चाहत होती बुजुर्गों को।ईश्वर निर्मित दुनिया में हजारों रास्ते सेवाएं देने के लिए
परिवार सेवा आधार मार्ग ही राहत पहुंचाए बुजुर्गों को।डॉक्टर के हंसकर हाल पूछने से मरीज आधा ठीक होता
दवा दुआ और अपनों का दामन दमकाता है बुजुर्गों को।छत्र छाया आशीर्वाद प्रभाव की हैसियत क्या है जीवन में
वानप्रस्थ जीवन चक्र में नेक समझ आती है बुजुर्गों को।हर शख्स की उम्र लिखी रहती भगवान के बही खातों में
शतायु आशीर्वाद देते वृद्ध को रब शतायु रखे बुजुर्गों को।
परिचय :- विजय कुमार गुप्ता
जन्म : १२ मई १९५६
निवासी : दुर्ग छत्तीसगढ़
उद्योगपति : १९७८ से विजय इंडस्ट्रीज दुर्ग
साहित्य रुचि : १९९७ से काव्य लेखन, तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल जी द्वारा प्रशंसा पत्र
काव्य संग्रह प्रकाशन : १ करवट लेता समय २०१६ में, २ वक़्त दरकता है २०१८
राष्ट्रीय प्रशिक्षक : (व्यक्तित्व विकास) अंतराष्ट्रीय जेसीस १९९६ से
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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