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बाट और बटोही

राम प्यारा गौड़
वडा, नण्ड सोलन (हिमाचल प्रदेश)
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सब चले हैं,
सब चलते हैं,
सब चलेंगे…
अपनी अपनी बाट।
कोई सोचता चलने से पूर्व
कोई सोचता ठोकर के बाद।
कोई बिछाता कंटक राह में,
कोई करता कंटक साफ।

राह में रोड़े,पत्थर तमाम मिलेंगे
सघन झाड़ियां की उलझाहट
विषैली बेलों की लिपटाहत।
धूप छांव में अपनी परछाई
पहचान खुद से करवाती हुई
घने जंगल मे खो जाएगी ।
उंगली पकड़ सहारा देने वाले
सिमटे हुए पीछे रह जाएंगे।

कदमों मे गर ताकत होगी,
सफर बाट का आसान होगा।
इच्छा शक्ति से मन भरा हो तो
मंजिल का दरवाजा पास होगा।
अपनी बाट, अपनी हो चाल
धोखा दे कोई, क्या मजाल?

देखा-देखी दूसरों के कहने
लगे नशे के गर्त में रहने।
झूठी शान,झूठा दिखावा
एकमात्र मन का बहकावा।
बाट कुसंगति की अति वृथा
मानव समाज से होता पृथा।

समय, स्थान, स्थिति को जानो
तब राह पर पग धरने की ठानो।
बिन सोचे समझे बटोही चलता जब
अनायास ही दुखों के भंवर में फंसता तब।
पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले,
है सुख की खान ये, इसे आत्मसात कर ले।।

परिचय :-  राम प्यारा गौड़
निवासी : गांव वडा, नण्ड तह. रामशहर जिला सोलन (सोलन हिमाचल प्रदेश)


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