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जीवन की कठिन परीक्षा में

प्रशान्त मिश्र
मऊरानीपुर, झांसी (उत्तर प्रदेश)
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जीवन की कठिन परीक्षा में,
अब वो ही अव्वल आएंगे।
जो खुद से रोज़ लड़ेंगे अब,
खुद को ही रोज हराएंगे।

इसलिए कभी फूलों की खातिर,
घर से नहीं निकलता हूं।
कांटों की सेज बना ली है,
अब कांटों पर ही चलता हूं।

ये देख तमाशा दुनिया का,
मैं अंदर से घबराया हूं।
औरों की खातिर अपना हूं,
अपनों के लिए पराया हूं।

अब इस छोटे से जीवन को,
तन्हां ही सही जिया जाए।
औरों को खुशियां दी जाएं,
अपनों का दर्द लिया जाए।

मैं नहीं कभी अब रोऊंगा,
ऐसा संकल्प लिया जाए।
मेरी खातिर जो रोया है,
खुश उसको आज किया जाए।

परिचय :-  प्रशान्त मिश्र
निवासी : ग्राम पचवारा पोस्ट पलरा तहसील मऊरानीपुर झांसी उत्तर प्रदेश
शिक्षा : बी.एस.सी., डी.एल.एड., एम.ए (राजनीतिक विज्ञान)

घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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