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प्यार मोहब्बत में छिपा

गगन खरे क्षितिज
कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश)
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प्यार एक ऐसा शब्द है,
संसार में ममता और
आराधना छिपी है।
मोहब्बत एक ऐसा अल्फाज़ है,
दुनिया में जन्नत का
रास्ता छिपा है व
आरज़ू की मन्नतें छिपी है।

जीवन का सार ही प्रेम प्यार,
मोहब्बत है,
इंसानियत को जीवित रखने को,
मानवता बचाने के लिए
यशु फिर जीवित हो गया,
नफ़रत मिटाने को उसमें
ईश्वर की आत्मा छिपी है।

कुदरत का करिश्मा ही कहें,
गीता, कुरान, बाईबल,
गुरू ग्रन्थ साहिब पथ-प्रदर्शक रहे,
धर्म निरपेक्षता लिए
हमारा संविधान भारतीयता की
पहचान लिए विश्वदर्पण में
इंसानियत की तस्वीर छिपी है।

धर्म और मजहब की
परिभाषा ही बदलने लगी है
इस कलयुग में हिंसा सिर्फ
हिंसा आधुनिकता की दौड़ में,
चोला पहनकर गगन ईश्वर
को भी धोखा दे रहे हैं,
खून खराबे में देखो जन्नत
ख़ुदा की कहीं नजर नहीं आ रही है
जैसे कहीं गुम या छिप सी गई है।

परिचय :- गगन खरे क्षितिज
निवासी : कोदरिया मंहू इन्दौर मध्य प्रदेश
उम्र : ६६वर्ष
शिक्षा : हायर सेकंडरी मध्य प्रदेश आर्ट से
सम्प्रति : नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण भोपाल मध्यप्रदेश सेवानिवृत्त २०१४
साहित्य में कदम : २०१४ से भारतीय साहित्य परिषद मंहू, मध्य प्रदेश लेखक संघ मंहू इकाई, महफ़िल ए साहित्य कोदरिया मंहू, आर्चना साहित्य संस्थान मंहू, राष्ट्रीय सखी साहित्य परिवार, छत्तीसगढ़ सखी साहित्य परिवार, म. प्र. संखी साहित्य परिवार, राष्ट्रिय हिंदी रक्षक मंच आदि समूह से समय पर जुड़े है।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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