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पत्नी कहती है

डाॅ. रेश्मा पाटील
निपाणी, बेलगम (कर्नाटक)

अगर आपकी पत्नी कल यह सवाल करे तो परेशान न हों।
क्योंकि वह कुछ भी गलत नहीं मांगती है।
विचारोत्तेजक
शोकाकुल
उनका एक ही सवाल….

मेरा बदन
हल्दी
तेरे नाम की।

मेरा हाथ
मेहंदी
तेरे नाम की।

मेरी मांग
सिंदूर
तुम्हारे नाम का।

मेरा माथा
बिंदिया
तुम्हारे नाम की।

मेरी नाक
नथनी
तुम्हारे नाम की।

मेरा गला
मंगलसूत्र
तुम्हारे नाम का।

मेरी कलाई
(चूड़ियाँ) चूड़ा
तुम्हारे नाम का।

मेरे पैर
पायल, बिछिया
सब तुम्हारे नाम की।

और हाँ
बड़ों का
नमन मै करू,
और ……
अखंड सौभाग्यवती भव
केवल आपको आशीर्वाद।

वटपूर्णिमा का मेरा व्रत,
आपको जीवन का उपहार।

मुझे घर संभालना है,
दरवाजे पर लगी
नेम प्लेट आपकी है।

मेरा नाम है
लेकिन उससे आगे,
पहचान आपकी है।

बस इतना ही …
मेरा पेट
मेरा खून
मेरा दूध
और बच्चे ?
आपके नाम के बच्चे।

सभी मेरा
आपके नाम है
कोई शिकायत नहीं …
कृपया नाराज़ न हों,
बहुत शालीनता से
एक सवाल पूछना..
बस इतना ही कहो…
क्या तुम्हारे पास कुछ है ?
मेरे नाम का?

माँ और पिताजी अपने
दोस्तो को आपके घर छोड़ आयी
अब उसकी देखभाल करने की
जिम्मेदारी किसकी है?

वह एक आपके परिवार में
इतनी घुलमिल गयी की
अपनी पसंद नापसंद को भुला दिया है

अपनी पत्नी के लिए इस तरह सा
बदलाव क्या तुम करोगे
क्या आप कृपया उसे थोड़ा
समय और अपनापन देंगे

सब्जियों में नमक न भी हो
तो मुस्कुराइए और टाल दे
रसोई को कभी प्रशंसा का शब्द दें

अकेले छुट्टी पे ले जाये
अपने आप को एक लड़की के
मन को समझने की तोहफिक दें।

जन्मदिन न होने पर भी
ऊपहार का एक धक्का दें
जब वो किसी तर्क में अपनी
आवाज़ उठाती हैं तो चुपचाप सुनें

पितृसत्तात्मक संस्कृति को छोड़
मानवता को आश्रय दो
सोते समय उसे गले लगाओ
मिलें तो गुनगुना कर
उसके सपनों को सजावो

शादी में हाथ पकडा है तो
अब दे सच्चा साथ।
गम दूर करने और आराम
करने के लिए एक
प्यार भरा कंधा दें
कुछ इस तरह का
समर्थन करें
दोस्ती का हाथ दे

परिचय :-  डाॅ. रेश्मा पाटील
निवासी : निपाणी, जिला- बेलगम (कर्नाटक)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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