Monday, December 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

फिर से मिल जाये

हंसराज गुप्ता
जयपुर (राजस्थान)

********************

वह नशा कहां, जब निशा जगाकर, बातों में खो जाते थे,
दशा दिशा से श्वास मिलाकर, हाथों में सो जाते थे,
बचपन में लौट के देखा तो, मिली कहीं ना तन्हाई,
जाड़े की रातें, घोर अंधेरा, लिपट भाई के रात बिताई,
सपने लेकर, भोर जगाते, सूर्यदेव से गर्मी पाते,
बाहों में बाँह डाल इतराते, सबकुछ खोकर मुझे मनाते,
जंगल में दंगल कर रूठा तो, मेरे हंसने पर खुशी मनाये,
काश! मेरे बचपन का भाई, एक बार फिर से मिल जाये।

एक पेट से जन्म लिया है, एक ही मां का दूध पिया है|
पोशाक सिलाई, थान एक, पढे पढ़ाये, एक दीया है,
मुझे जिताकर, जोर की ताली, मेरी थाली रहे न खाली,
होती कोई चीज निराली, अपने हिस्से की मुझको डाली,
भूलूं कैसे, मुझे चोट लगे, तेरी आंखों से आंसू आये,
काश! मेरे बचपन का भाई,एक बार फिर से मिल जाये।

चुका देता, मेरा उधार, लड्डू मुझको,चूरा खुद खाये,
दोष कभी देखा ना मेरा, पौंछे आंसू, हाथ फिराये,
नभ में जो तूने पतंग चढ़ाली, हक था, मैंने उसे कटा ली,
अब क्या खोट देखूंगा तुझमें, खुद की चादर मुझे उढा दी,
करके मनमानी, भूल सयानी, मैं कच्ची कौड़ी बन जाता,
राजा हो तेरा छोटा भैया, तू मेरी घोडी बन जाता,
जीतूं मैं जीवन का खेला, आशीष लुटाकर पाठ पढ़ाये,
काश! मेरे बचपन का भाई, एक बार फिर से मिल जाए।

दो लोटे डाल बाल्टी में, हम एक दूजे को नहलाते,
तन मन का मैल निकल जाता, जब तैल लगाकर सहलाते,
मां मेरी मेरी करके पल्लू में, लुकाछिपी के खेल नये,
बाबूजी के दोनों कंधों पर, चिपके बैठे बाजार गये,
तेरा साथ रहा तब तक तो, एक भी बाजी ना हारी,
तय है सिर पर हाथ रहा तो, मैं जीतूंगा दुनिया सारी,

परिचय :-  हंसराज गुप्ता, लेखाधिकारी, जयपुर
निवासी : अजीतगढ़ (सीकर) राजस्थान
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें….🙏🏻

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *